एक-एक कर खुलने लगे गया के विदेशी बौद्ध मंदिरों के पट, जानिए कहां-कहां हो सकेंगे दर्शन
कोरोना काल में लॉकडाउनल के दौरान इन बौद्ध मंदिरों के पट पिछले करीब डेढ़ साल से बंद थे। अब तीर्थयात्रियों की सुविधा को लेकर बारी-बारी से इन मंदिरों के पट खोले जा रहे हैं। इससे प्रतीत हो रहा है कि गया में पर्यटन मौसम की शुरुआत हो गई है।
बोधगया, जागरण संवाददाता। पितृपक्ष में गयाजी आए देश-विदेश के पिंडदानियों की सुविधा को लेकर बोधगया स्थित विदेशी बौद्ध मंदिर व महाविहारों के पट एक-एक कर खुलने लगे हैं। मंदिर-महाविहारों का पट का खुलना पर्यटन मौसम के दस्तक देने का भी एक संकेत है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान करीब डेढ़ साल से सभी बौद्ध मंदिरों का पट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद था। इस दौरान मंदिरों में केवल पुजारी द्वारा नित्य पूजा-पाठ आंतरिक स्तर से किया जाता था।
इस तरह खुले बौद्ध मंदिर
बिहार में अनलॉक की शुरुआत के बाद राज्य सरकार ने धीरे-धीरे धार्मिक स्थलों को भी खोलने की घोषणा की। राज्य सरकार के मंदिर खोलने के आदेश के बाद विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। उसके बाद 80 फीट विशाल बुद्ध प्रतिमा और दायजोक्यो मंदिर का पट खोला गया। इससे देशी पर्यटकों का आवागमन बोधगया में बढऩे लगा। इसके बाद तिब्बती कर्मा मंदिर का द्वार भी आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। महाबोधि सोसाइटी आफ इंडिया बोधगया शाखा परिसर स्थित जयश्री महाबोधि विहार का पट भी एक अक्टूबर से खोल दिया गया। हालांकि जयश्री महाबोधि विहार के गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है। श्रद्धालु प्रवेश द्वार से ही भगवान बुद्ध का दर्शन व मंदिर के अंदर की कलाकृति का अवलोकन करते हैं।
पिंडदानी भी करते हैं भगवान बुद्ध के दर्शन
पिंडदानी बोधगया स्थित पिंडवेदियों पर भी कर्मकांड का विधान कर विदेशी बौद्ध महाविहारों का परिभ्रमण कर भगवान बुद्ध का दर्शन कर रहे हैं। सनातन धर्म में भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसलिए पिंडदानी सभी बौद्ध मंदिरों का परिभ्रमण कर भगवान बुद्ध का दर्शन करते हैं। वैसे भी बोधगया परिभ्रमण को मिनी वर्ल्ड टूर का एहसास करना बताया जाता है। फिलहाल जापान, थाईलैँड, भूटान, चीन व अन्य देशों के बौद्ध मंदिरों के पट अभी बंद हैं।