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सदियों से जीवनदायिनी रही सोरहर के अस्तित्व पर अब संकट

-बालू का अवैध खनन कर नदी का वजूद मिटाते जा रहे हैं लोग प्रशासन नहीं लगा रहा रोक -लंबी दूरी तय कर सैकड़ों गांवों के खेतों को तृप्त करती है सोरहर इसी के पानी से होती है खेती -इमामगंज प्रखंड के पकरी गुरिया गाव के पास संगम बनाती हैं मोरहर सोरहर व लवजी नदियां -------------

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 03:11 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 03:11 PM (IST)
सदियों से जीवनदायिनी रही सोरहर के अस्तित्व पर अब संकट
सदियों से जीवनदायिनी रही सोरहर के अस्तित्व पर अब संकट

देवेंद्र प्रसाद, इमामगंज

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जिले में शेरघाटी व टिकारी अनुमंडल के साथ इमामगंज प्रखंड से होकर गुजरने वाली सोरहर नदी इन इलाकों के किसानों के लिए वर्षो से जीवनदायिनी के समान रही है। यह सैकड़ों गांवों के किसानों के खेतों को तृप्त कर खुशहाली ला रही है। यह अलग बात है कि प्रकृति की इस अमूल्य धरोहर के अस्तित्व को खत्म करने पर भी लोग आमादा हैं। बालू के अवैध खनन पर रोक नहीं लगने से नदी जहां-तहां सकरी तो कहीं-कहीं गहरी हो गई है। इससे जल के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। हालांकि बरसात के दिनों में अब भी सोरहर जिन क्षेत्रों से गुजरी है, वहां के किसानों के लिए सिंचाई के संसाधन सुलभ करा रही है। झारखंड से पलामू से निकल लंबा सफर तय करती है सोरहर :

सोरहर नदी करीब सौ किमी दूर झारखंड के पलामू जिले के घनघोर जंगल से निकली है। यह पलामू के कई गावों से बहते हुए शेरघाटी अनुमंडल के डुमरिया पहुंचती है। यहां से कोलशैता, बरबाडीह, देवचंडीह, पिपरा व कोलुवार सहित दर्जनों गावों से होकर इमामगंज पहुंचती है। जहा से झिकटिया, सिद्धपुर, बड़का करासन, गंगटी, छोटका करासन, जमुना, बसेता, मल्हारी, विश्रामपुर, मदसारी, पंडरिया, कौवल, पोखराह, विशुन विगहा व पकरी गुरिया को जोड़ते हुए बांके बाजार प्रखंड में पहुंचती है। यहां से दिघासीन, शकरपुर, बलथरबा, भालुहार, टंडवा, रोरीडीह, सफगंज, रौशनगंज, चौगाई-भालुहार आदि गावों से बहकर यह शेरघाटी पहुंचती है। फिर टिकारी अनुमंडल में पहुंचकर गंगा में समाहित हो जाती है। कई नहरों व पईन में जल का प्रमुख स्रोत है सोरहर नदी :

सोरहर नदी से सिंचाई के लिए कई बड़ी-बड़ी नहर व पईन निकली हैं, जिनसे इमामगंज, डुमरिया, बांकेबाजार, शेरघाटी, गुरुआ और टिकारी अनुमंडल के दर्जनों गांवों की सैकड़ों एकड़ खेत तृप्त होते हैं। इन क्षेत्रों के किसान सोरहर के भरोसे ही खेती-किसानी करते हैं। यह इमामगंज प्रखंड के पकरी गुरिया गाव के पास मोरहर, सोरहर व लवजी नदियां आपस में मिलकर संगम का रूप लेकर बड़ी नदी बन गई है। इन नदियों से पानी के अलावा अन्य कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। वर्षो से सिंचाई के साधन के साथ पूज्यनीय रही है सोरहर नदी :

उस समय जब गावों में खेती करने का कोई साधन नहीं था, आधुनिक यंत्रों का अविष्कार नहीं हुआ था। किसान भगवान के भरोसे खेती करते थे, उस विकट परिस्थिति में भी खेती के साथ अन्य कार्यो को भी मोरहर, सोरहर व लवजी नदियां ही पूरा करती थीं। कहीं अलग-अलग तो कहीं पर तीनों एक में समाहित होकर किसानों का भला करती रही हैं। इन तीनों नदियों का जहां संगम है, वहां का पानी अमृत के समान है। यहा दर्जनों गाव की हजारों महिलाएं कार्तिक के महीने में छठ पूजा के समय भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देकर अपनी मनोकामना पूरा करती थीं। ऐसी मान्यता रही है कि श्रद्धालुओं के विधिपूर्वक अ‌र्घ्य देने से उनकी सारी मनौती पूरी हो जाती है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है।

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कोट :-

सोरहर नदी में जहा-जहा अवैध तरीके से बालू का उत्खनन कर नदी का अस्तित्व मिटाया जा रहा है, वहा कोरोना संकट दूर होने पर जांच कराकर विभाग को खनन पर रोक लगाने के लिए पत्र लिखेंगे। नदियां किसानों के लिए जीवनदायिनी रही हैं, उनका संरक्षण हर तरह से किया जाएगा।

-जयकिशन, बीडीओ, इमामगंज, गया।


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