श्री राम का चरित्र पवित्र एवं अनुकरणीय
गया। नौ दिवसीय श्री रामचरित मानस नवाह परायण पाठ सह महायज्ञ व संगीत भजनामृत के तीसरे दिन सोमवार को
गया। नौ दिवसीय श्री रामचरित मानस नवाह परायण पाठ सह महायज्ञ व संगीत भजनामृत के तीसरे दिन सोमवार को कथा पाठ और प्रवचन के साथ भगवान श्रीराम के जन्म की मनोरम झाकी प्रदर्शित की गई। शहर के प्रकाश विद्या मंदिर के खेल परिसर में आयोजित इस भक्तिमय कार्यक्रम में स्वामी श्री प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने श्रीराम के जन्म प्रसंग पर कथावाचन करते हुए कहा कि भक्तों के कल्याण के लिए परमात्मा का मानव शरीर में अवतार होता है। मानव को व्यवहारिक जीवन का ज्ञान नर लीलाओं के माध्यम से देते हैं। श्री राम का चरित्र पवित्र एवं अनुकरणीय है। भगवान श्रीकृष्ण की लीला चिंतनीय है। अपने जीवन के प्रति जिसके जीवन मे कम से कम अपेक्षा और शिकायतें रहती हैं। वह संसार में उतना ही सुखी रहता है। मनुष्य को अपने हृदय के अंदर दो विचारों का सृजन कर लेने पर जीवन आनंदमय हो जाता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता से अधिक बोले नहीं। जब भी बोले मीठी बात बोलें। निंदा कठोर शब्द और झूठ से बचकर रहें। दूसरा किसी ने आपके प्रति अपराध किया है तो बिना किसी अपेक्षा के उसे क्षमा कर दें। उन्होंने कहा कि सूर्य बोलता नहीं है बल्कि उसका परिचय उसका प्रकाश देता है। ठीक उसी प्रकार स्वयं भी अपने बारे में कुछ न बोलें, अच्छे कर्म करते रहें। कर्म और आपके शब्द ही जीवन और संस्कारी का परिचय देता है। प्रवचन के उपरात आयोजन स्थल के मंच पर श्रीराम का जन्म क्यों हुआ और श्रीराम का जन्म कैसे हुआ के प्रसंग को लेकर बाल लीला का आयोजन किया गया। बाल लीला में कलाकारों द्वारा दी गई प्रस्तुति को देख दर्शक भक्ति में डूबे रहे।