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आकांक्षी के प्रयास से बही बदलाव की बयार, जिंदगी खुशहाल

नमो दैव्ये महादैव्ये फोटो 32 -स्लैक परियोजना से सतत आजीविका एवं पर्यावरण अनुकूल खेती के माध्यम से बाराचट्टी प्रखंड की महिलाएं कर रहीं अधिक उत्पादन वित्तीय सबल तकनीकी और जन प्रबंधन में भी महिलाओं को कर रहीं जागरूक --------- -57 महिला ग्राम संगठन की 2280 महिलाएं हुई सबल -------

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 02:57 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 06:27 AM (IST)
आकांक्षी के प्रयास से बही बदलाव की बयार, जिंदगी खुशहाल
आकांक्षी के प्रयास से बही बदलाव की बयार, जिंदगी खुशहाल

अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी

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प्रखंड के 57 महिला ग्राम संगठन की 2280 महिलाएं उन्नत खेती का गुर सीख आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। कम लागत में अच्छी खेती कर रही हैं। उनको पूंजी की भी चिंता नहीं है। पैसे की कमी होने पर महिलाएं समूह से कर्ज लेकर खेती करती हैं। उपज होने के बाद बचत के पैसे से कर्ज चुका दे रही हैं। आज वे खुशहाली की जिंदगी जी रही हैं।

यह सब संभव हुआ है बीएचयू से हिदी में पीजी आकांक्षी मिश्रा के प्रयास से। वह महिलाओं को समान अधिकार दिलाकर सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं। मिथ्या को तोड़कर वह आज नारी सशक्तीकरण की मिसाल बन गई हैं। एक वर्ष से गया जिले में महिलाओं को किसान कहलाने का अधिकार दिलाने में जुटी हैं। जीविका से जुड़ी हैं और इन दिनों बाराचट्टी प्रखंड में स्लैक परियोजना की यंग प्रोफेशनल पद पर हैं। बनारस निवासी आंकाक्षी गाव-गांव जाकर समूह की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।

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महिलाओं की जुबान पर

आकाक्षी दीदी का नाम

आकाक्षी दीदी का नाम महिलाओं की जुबान पर हर वक्त रहती है। दहियार गाव की इंदू देवी, मनीचक गाव की प्रतिमा देवी कहती हैं, इनकी प्रेरणा से मधुमक्खी पालन कर रही हूं। इस वर्ष पहले सीजन में 120 किलो शहद निकला। लगभग चालीस हजार की आमदनी हुई। सोभ बाजार की रेखा देवी, राजवंशी देवी मधुमक्खी पालन एवं मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बनीं। ये बताती हैं अच्छी शहद और मशरूम का उत्पादन हुआ। उसे बेचने के लिए बाजार में नहीं जाना पड़ा। घर पर ही आकर लोग खरीद कर ले गए। सभी ने इसके लिए आकाक्षी दीदी की सराहना कर रही हैं।

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पंद्रह दिन पहले ही मिल

जाती है मौसम की जानकारी

आकाक्षी मिश्रा महिलाओं को खेती के लिए प्रेरित करने के साथ ही 15 दिन पूर्व ही मौसम की जानकारी दे देती हैं। इस बात की जानकारी गाव की महिलाओं को उनके मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से मिल जाती है। रोही गाव की रेखा देवी कहती हैं, मौसम की जानकारी पहले होने से खेतों में लगी फसल को नुकसान से बचाने के उपाय कर लिए जाते हैं। यह सब स्लैक परियोजना और इसे संचालित कर रहीं आकांक्षी मिश्रा की देन है।

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आज ग्रामीण क्षेत्रों में आधी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। बात जब खेती की आती है तो किसान होने का दावा पुरुष वर्ग करते हैं। आज बाराचट्टी प्रखंड में 2280 महिलाएं मौसम के अनुकूल खेती कर यह साबित कर दी हैं कि केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिला भी किसानी की रीढ़ हैं। वह भी खेती करने में आगे निकल रही हैं। बचपन से मेरी यह सोच बनी थी कि महिलाएं घर की चौखट तक ही क्यों रहेगी। वे भी बाहर आकर कृषि के क्षेत्र में काफी कुछ कर किसानी और खुद को आगे तक बढ़ा सकती हैं।

आकाक्षी मिश्रा


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