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सामाजिक समरसता व सहकारिता की मिसाल बनी मीरगंज की पुश्तैनी खिचड़ी

वजीरगंज गया के वजीरगंज प्रखंड अंतर्गत मीरगंज में मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी महाभो

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 11:52 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 11:52 PM (IST)
सामाजिक समरसता व सहकारिता की मिसाल बनी मीरगंज की पुश्तैनी खिचड़ी
सामाजिक समरसता व सहकारिता की मिसाल बनी मीरगंज की पुश्तैनी खिचड़ी

वजीरगंज :

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गया के वजीरगंज प्रखंड अंतर्गत मीरगंज में मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी महाभोज का आयोजन होता है ।यह भोज प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दूसरे दिन या आगे एक सप्ताह के अंदर जिस दिन खिचड़ी खाने की मान्यता रही हो ,यथा रविवार, मंगलवार , गुरुवार को छोड़ अन्य किसी भी दिन किया जाता है । यहां की खिचड़ी काफी सुस्वादु और सुपाच्य होता है ,जो क्षेत्र में विख्यात है । खिचड़ी के दिन पूरे गांव के घर घर में चहल-पहल रहती है । सभी लोग अपनी क्षमता के अनुसार अपने अपने परिचित बाहरी लोगों को घर बुलाकर श्रद्धा के साथ खिचड़ी का भोज कराते हैं । इस गांव में खिचड़ी खाने और खिलाने की परंपरा कब और किनके द्वारा शुरू की गई इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। यानी यह मान कर चलिए कि यह एक पुश्तैनी परंपरा है ।

गांव के साठ वर्षीय समाजसेवी रामनरेश प्रसाद सिंह ,सत्तर वर्षीय सच्चिदानंद पांडे, पैंसठ वर्षीय मदन मोहन नारायण सहित अन्य कई बुजुर्गों से बात करने पर वह बताते हैं कि खिचड़ी खिलाने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह कब शुरू किया गया इसका सुराग हम लोगों को नहीं मिलता है ।इनके अनुसार इनके पिताजी तो क्या उनसे पहले इनके दादा भी इस परंपरा के शुरुआती दौर को नहीं जानते थे । हां, रामनरेश प्रसाद सिंह इतना जरूर बताते हैं कि, दादाजी के जमाने में क्षेत्र का कृषि कार्य पूरी तरह वर्षा पर आधारित रहता था । तब हमेशा अनावृष्टि के कारण फसलें मारी जाती थी और किसानों को अकाल का सामना करना पड़ता था । जब खेत में धान के फसल नहीं होते थे तब कृषकों को भारी क्षति होती थी ।वैसे विकट परिस्थिति में भी दादाजी लोग खिचड़ी का भोज जरूर कराते थे ,चाहे इसके लिए घर की महिलाओं का जेवर गहने भी क्यों नहीं बेचना पड़े ।लेकिन वे परंपरा को जीवित रखे रहते थे ।तो खिचड़ी खिलाने की परंपरा का शुरुआती दौर अज्ञात है लेकिन प्रचलन को यहां के युवा पीढ़ी आज भी बरकरार रखे हुए हैं । हालांकि पहले की अपेक्षा अब और भी बड़े पैमाने पर घरेलू और सामूहिक भोज का आयोजन कराया जाता है ।

इस बार भी गांव में चौदह और पंद्रह जनवरी को मकर संक्रांति के चूड़ा दही का लुत्फ उठाने के बाद कल (सोमवार को )बड़े पैमाने पर खिचड़ी के महाभोज कराने की तैयारी चल रही है । गांव के समाजसेवी अमर शंकर उर्फ काका जी के घर पर सामूहिक खिचड़ी महाभोज का आयोजन प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी कराया जाना है । तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है । इस समारोह को सफल बनाने के लिए पूरे गांव के लोग श्रद्धा से लगे हुए हैं । ग्रामीण रामनरेश प्रसाद सिंह बताते हैं कि मीरगंज की खिचड़ी सुपाच्य और सुस्वादु तो होता ही है , यह समाज को एक नया संदेश भी देता है । वह है आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द बनाने की । कहते हैं कि खिचड़ी में जिस प्रकार चावल के साथ दाल , गोभी ,मटर ,काजू , छुहारे , किशमिश सहित अन्य सामग्री आपस में मिलकर एक सुस्वादु भोजन के रूप में तैयार हो जाते हैं जिसे हर लोग चाव से खाते हैं ,उसी प्रकार समाज के हर तबके के लोग का दिल एक दूसरे से मिलकर नया समाज बनाने के लिए प्रेरित हो जाता है । यहां की खिचड़ी कोई भी व्यक्ति चाहे जितना भी खा लें ,उन्हें पाचन में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है ।यह महाभोज पूरे क्षेत्र में सामाजिक समानता एवं भाईचारे का संदेश देती है । ग्रामीणों का दावा है कि पूरे वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र में सामाजिक एवं सांप्रदायिक भाईचारे कायम है ,जो मीरगंज की खिचड़ी का ही देन है । हर वर्ष क्षेत्र के लोग इस खिचड़ी से प्रेरणा लेकर समरस समाज बनाए रखने का संकल्प लेते हैं । गांव में शनिवार को भी अमर शंकर उर्फ काका जी के द्वारा दलित समुदाय के लिए विशेष आयोजन करके महाभोज कराया गया । इसके अलावा निरंजन कुमार सिंह एवं मुन्ना कुमार सिंह ने भी खिचड़ी भोज का आयोजन कराया जिसमें सैकड़ों लोग भाग लिए ।

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बाल संस्कार केन्द्र के भोज में दिखी मकर संक्रांति की समरसता

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गया: मकर संक्रांति पर्व के पावन अवसर पर गया नगर क्षेत्र में सेवा भारती के 12 बाल संस्कार केन्द्र पर एवं मंगला गौरी मंदिर प्रांगण में समरसता भोज का आयोजन किया गया। जहां सभी बच्चे, केन्द्र के शिक्षक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता, समाज के लोग एक साथ बैठ कर चूड़ा, तिलकुट, तिल एवं प्रसाद रूपी खिचड़ी खाकर मकर संक्रांति मनाते हुए सामाजिक समरसता का संदेश दिए। सबसे पहले भारत माता की पूजन कर बच्चों को मकर संक्रांति पर्व एवं उसके महत्व के बारे में बताया गया। बच्चों के द्वारा सरस्वती वन्दना,गायत्री मंत्र का पाठ एवं सूर्य नमस्कार किया गया। पितामहेश्वर तथा महादेव घाट पर संचालित बाल संस्कार केंद्रों पर अंग वस्त्र भी बच्चों के बीच बाटा गया। मां मंगला गौरी के दरबार में गयाजी के 40 युवा एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हुए मकर संक्रांति एवं सामाजिक समरसता के विषय पर चर्चा किए। पूरे कार्यक्रम के दौरान सेवा भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल कुमार,संरक्षक प्रमोद कुमार, प्रो. प्रदीप दास, जिला अध्यक्ष राहुल दत्ता, सचिव विक्की बरनवाल, सह नगर कार्यवाह आनंद श्रीकर, भाजपा के महामंत्री प्रशांत कुमार, रवि शंकर, सूरज सिंह, रंजीत सिंह, सेवा भारती के जिला उपाध्यक्ष संजय कुमार, राजेश कुमार एवं अन्य स्वयंसेवक उपस्थित रहें।


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