ज्ञान की धरती पर गुरुओं ने बिखेरी राष्ट्रीय एका की छटा
नीरज कुमार, गया शहर के जिस गांधी मैदान में राष्ट्रपिता का अस्थि कलश रखा हुआ है, उस भूमि
नीरज कुमार, गया
शहर के जिस गांधी मैदान में राष्ट्रपिता का अस्थि कलश रखा हुआ है, उस भूमि पर शनिवार को भारत की विविध संस्कृति और अनेकता में एकता की झलक साकार हो रही थी। इसे यह स्वरूप दे रहे थे वे शिक्षक, जो शिक्षा और संस्कार से पीढि़यों को गढ़ते हैं।
ज्ञान और मोक्ष की भूमि गया में विभिन्न प्रांतों के शिक्षक वहां की वेशभूषा में आए हुए थे। यह दृश्य भारत के विभिन्न सामाजिक परिवेश का दर्शन करा रहा था। अलग-अलग भाषा और पहनावा, पर मूल कार्य अपने ज्ञान से भावी पीढ़ी को राष्ट्र के लिए तैयार करना। सम्मेलन में बातें शिक्षा के स्वरूप और इसकी दशा-दिशा पर भी हुई। राष्ट्र का निर्माण, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों का उत्थान। इन सब मुद्दों को लेकर सब यहां एकत्र हुए। उन्होंने बापू के अस्थि कलश को नमन किया। उस भूमि को नमन किया, जहां से भगवान बुद्ध ने पूरी दुनिया को ज्ञान दिया था। आंध्रप्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, मिजोरम, तामिलनाडु सहित 25 राज्यों के शिक्षक बोधगया पहुंचे। कई ने अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण भी किया। वे लोग विष्णुपद मंदिर परिसर पहुंचे, जहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मोक्ष की कामना की। पिंडदान व कर्मकांड करने के बाद पालनहार श्रीहरि के चरण चिह्न स्पर्श कर परिवार की मंगलकामना की। उन्होंने बोधगया, विष्णुपद एवं शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने यहां के हर दृश्य को अपनी आंखों में बसाया।