कैंसर दिवस विशेष: खुद को हौसला दिया और बीमारी पर हासिल की जीत
कैंसर से आदमी टूट जाता है। लेकिन, सूर्यनारायण ने उसे मात दी है। विश्व कैंसर दिवस पर जानिए कैंसर से लड़ाई में जीते सूर्यनारायण की कहानी।
गया [सुभाष कुमार]। कैंसर...। यह सुनते ही कांप गए सूर्यनारायण। आंखों के आगे अंधेरा छा गया। आंखों के आगे नाचने लगा घर-परिवार। अनहोनी जैसे सामने खड़ी हो। डॉक्टर ने जिस बीमारी का नाम बताया था, कंपा देने के लिए बस इतना ही काफी था। कदम लड़खड़ाने लगे, पर...। पत्नी ने हाथ बढ़ाकर सहारा दिया, हम लड़ लेंगे इस कैंसर से।
सूर्यनारायण ने हिम्मत नहीं हारी। खुद को हौसला बंधाया। कैंसर महज एक बीमारी है, और कुछ नहीं। हां! लड़ेंगे इससे। अब एक लड़ाई थी। कैंसर और सूर्यनारायण के बीच। सूर्यनारायण ने इस लड़ाई में कैंसर को हरा दिया। शहर के जीबी रोड स्थित गौरिया मठ लेन के रहने वाले सूर्यनारायण ने जो कुछ भी बताया, वह कैंसर के हर उस मरीज के लिए एक प्रेरणा है, जिसने इसे खौफनाक समझ लिया हो। वे भदानी नर्सिंग होम में मेडिकल की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
जब पता चला कैंसर का
वे बताते हैं, दिसंबर 2013 में मुझे इस बीमारी का पता चला। जबड़े में फुंसी जैसा कुछ हो गया था। घबरा गया कि यह क्या है। सबसे पहले दांत के डॉक्टर अमिताभ भदानी के पास गया। उन्होंने पूरी जांच की। कहा कि कैंसर का लक्षण है। शुरुआती दौर में है। इस बीमारी का इलाज है, इसलिए तुरंत इलाज शुरू करा लें। मेरे पांव तले जमीन खिसक गई थी, पर डॉक्टर ने हिम्मत दी।
अगले साल जनवरी महीने में ही अपनी पत्नी सरिता देवी के साथ इलाज के लिए मुंबई पहुंचा। मेरी हालत क्या थी, यह मैं ही समझ सकता हूं। वहां बांबे साइन हॉस्पिटल में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एके सेथना ने देखा। उनके निर्देशन में दो महीने तक इलाज चला। मेरी हालत बार-बार खराब हो रही थी, पर वे सांत्वना देते रहे कि सब ठीक हो जाएगा।
डॉक्टर ने कहा, ओरल कैंसर
डॉक्टर ने बताया कि यह ओरल कैंसर है। यह गुटका, तंबाकू, पान, बीड़ी-सिगरेट आदि से होता है। उन्होंने दो महीने तक लगातार इलाज किया। मेरे जबड़े का ऑपरेशन किया गया। उसके बाद लगातार दवा चली। रेडिएशन कराया गया। बीमारी नियंत्रित हुई तो वापस घर गया लौटा। इसके बाद पटना में महावीर कैंसर संस्थान में रेडिएशन के लिए गया। वहां भी करीब दो महीने तक रहा।
अब पूरी तरह ठीक
सूर्यनारायण बताते हैं, मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हूं। पटना में सवेरा हॉस्पिटल के डॉ. वीपी सिंह के संपर्क में रहकर लगातार सलाह लेता रहता हूं। उन्होंने काफी सहयोग किया। अब दो से छह महीने में दिल्ली जाता हूं। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीच्यूट के डॉ. एके दिवान की दवा चल रही है। खाना वगैरह में कोई मनाही नहीं है। शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन करता हूं। सिर्फ मसालेदार खाना मना है। अच्छा महसूस हो रहा है। पहले के जैसे काम कर रहा हूं। बीमारी से लडऩे में सूर्यनारायण की पत्नी उनकी सबसे बड़ी सहयोगी रहीं। उन्होंने पति के मनोबल को कभी टूटने नहीं दिया।
छोड़ दीजिए गुटखा-सिगरेट
सूर्यनारायण कहते हैं, मैंने इस बीमारी से लड़कर अपनी जिंदगी दुबारा पाई है। सबसे कहना चाहते हैं, अव्वल तो उन चीजों से दूर रहिए, जो कैंसर का कारण बनता है। तंबाकू, बीड़ी, गुटखा, सिगरेट वगैरह छोड़ दीजिए। इसकी ओर देखिए भी नहीं। हां, अगर कोई भी बीमारी के शिकार हैं तो डरें नहीं। कैंसर से लड़ा जा सकता है। बस, डॉक्टर की सलाह मानते रहें।