श्रद्धा से की गई प्रार्थना से ही मिलेगी शक्ति
गया। तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि त्रिशरण- बुद्ध, धर्म और संघ के शरणागत हुए बिना मंग
गया। तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि त्रिशरण- बुद्ध, धर्म और संघ के शरणागत हुए बिना मंगल भावना का उदय नहीं हो सकता। श्रद्धा से की गई प्रार्थना से लाभ व शक्ति दोनों मिलेगी।
मंत्र का अर्थ मन को तृप्त करना है। मंत्रोच्चार का अभ्यास निरंतर करना चाहिए। धर्मगुरु मंगलवार को कालचक्र मैदान पर अपने प्रवचन सत्र के अंतिम दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब ज्ञान का उदय होता है तो अविद्या समाप्त होती है। प्रज्ञा पारमिता के सिद्धार्थ का अनुपालन करने से बोधिसत्व की साधना सफल होती है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को मंडल का अभिषेक कराया और कहा कि मंडल ज्ञान का प्रतीक है। उसके चार कोण समता के सूचक हैं, चार रेखाएं मैत्री, चार द्वार विमोक्ष के प्रतीक हैं। मंडल में बुद्ध का संभाग काय इंगित है। महायान परंपरा की दृष्टि से बुद्ध ने पूर्ण बुद्ध होने की प्रतिज्ञा की थी। इसलिए तिब्बती परंपरा में मंडल का विशेष महत्व है। उन्होंने श्रद्धालुओं को बोधिचित्त के उत्पाद के लिए अनुत्तर पूजा का विधान बताया। जिसमें वंदन, पूजन, पापदेशना, पुण्यानुमोदन, बुद्ध देशना, बुद्ध याचना व बोधि परिणामना शामिल है। इस दौरान सभी श्रद्धालु विशेष मुद्रा में बैठकर अपनी ललाट पर लाल रिबन बांधे हुए थे। कार्यक्रम के अंत में धर्मगुरु के दीर्घायु की प्रार्थना बौद्ध लामाओं ने की और सत्तू से बने गणचक्र भेंट किए। उसके बाद टीपा के कलाकारों ने गायन व नृत्य प्रस्तुत किया। फिर मंगोलिया के कलाकारों ने गायन व वादन की चार प्रस्तुति धर्मगुरु के समक्ष दी।
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धर्मगुरु आज जाएंगे महाबोधि मंदिर
धर्मगुरु दलाईलामा बुधवार को विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना करने जाएंगे। हालांकि मंदिर परिसर में बुधवार को तिब्बतियों के निगमा पंथ का 29 वां निगमा मोनलम चेन्मो पूजा का शुभारंभ होगा। कयास लगाया जा रहा है कि उक्त पूजा के शुभारंभ में धर्मगुरु शामिल होंगे।
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19 से कालचक्र मैदान पर देंगे अभिषेक
धर्मगुरु दलाईलामा 19 जनवरी से कालचक्र मैदान पर तीन दिवसीय अभिषेक देंगे। यह अभिषेक तिब्बती परंपरा के तहत 13 इष्टदेव (यमन्तक) का होगा। 19 को यमन्तक अभिषेक, 20 को चक्र संवार का अभिषेक व 21 को एकांकी यमन्तक का अभिषेक धर्मगुरु द्वारा किया जाएगा। इसकी घोषणा धर्मगुरु ने अपने प्रवचन सत्र में की। उन्होंने कहा कि अगर आप चाहें कि इस अभिषेक में शामिल हों तो कोई बाधा नहीं है। यह आपकी इच्छा पर है।