विदेश में काम कर जला रहे घर-परिवार का चूल्हा
[दिवाकर मिश्र] डुमरिया में कई घरों का चूल्हा विदेशी से आई राशि से जलता है।
[दिवाकर मिश्र] डुमरिया
डुमरिया में कई घरों का चूल्हा विदेशी से आई राशि से जलता है। आशय यह कि लोग दुबई, कुवैत, ओमान आदि खाड़ी देशों में नौकरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां विकास की गति काफी धीमी है। यहां रोजगार का कोई साधन नहीं है। यहां के लोग बड़ी संख्या में सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, इराक आदि खाड़ी देशों में काम कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
पहाड़, नदियां, जंगलों के बीच बसा यह क्षेत्र आज भी वीरान नजर आता है। यहां की कृषि वर्षा पर निर्भर है। सिंचाई का साधन नहीं रहने के कारण यहां रहने वाले किसानों की हालत खराब रहती है। समय पर बारिश नहीं हुई तो सुखाड़ का दंश झेलना पड़ता है।
नक्सलियों ने इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में कई किसानों के खेतों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इन कारणों से भी यहां के नौजवान विदेश जाकर कमाई कर रहे हैं। डुमरिया प्रखंड के मदारपुर गाव के तीस, सैता के बीस, खैरा के बीस, मंझौली के बाइस, पुर्खानचक के पंद्रह, किसडीह के दस युवक इन दिनों खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं। विदेशों में रह रहे युवकों की उम्र बीस से पैंतीस वर्ष के बीच है।
विदेशों में काम कर रहे युवक अपनी इच्छा से रोजगार की तलाश में वहां गए। फिर और लोगों को भी बुला लिया। हाल ही में कुवैत से लौटकर आए शाहनवाज खान बताते हैं कि वहां बिजली मिस्त्री, फिटर और मैकेनिकल कार्य से जुड़े लोगों को प्रतिमाह भारतीय मुद्रा में तीस हजार रुपये के आसपास मिल जाता है। पीने का पानी खरीदना पड़ता है। स्वयं पर खर्च करने के बाद शेष राशि अपने परिवार वालों को भेजते हैं।
विदेशों में काम करने वाले लोगों का परिवार उनके द्वारा धन राशि भेजे जाने का इंतजार करता रहता है। किसी के निधन, शादी-विवाह में अपने देश लौटने में उन्हें परेशानी होती है। मदारपुर के वशीम एकराम ने बताया कि विदेशों में काम करनवालों में किसी की किसी वजह से मौत हो जाती है तो कंपनी ताबूत में लाश भेज देती है। वहां काम करने वाले विदेशियों के साथ कोई भी कंपनी तीन वर्ष का अनुबंध करती है। दो वर्ष बाद ही अपने वतन जाने की अनुमति होती है। इस दौरान घर में कोई आयोजन हो तो वे लोग मन मसोस कर रह जाते हैं।