फिजिकल डिस्टेंसिंग से ही काबू में आया था स्पेनिश फ्लू, महामारी से बचाव का इससे कारगर उपाय नहीं
रोहतास के 101 वर्षीय जेल सेवा से रिटायर्ड श्रीनिवास तिवारी का कहना है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग ही महामारी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। आजादी के पहले जब न चिकित्सा व्यवस्था इतनी कारगर थी और न विज्ञान के खोज तब यही काम आया था।
सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की चेन तोड़ने के लिए क्वारंटाइन (Quarantine) की सलाह आज पूरी दुनिया को दी जा रही है। चिकित्सक और वैज्ञानिक यह सलाह दे रहे हैं। यह तब है जब चिकित्सा विज्ञान कई शोध व तकनीक के सहारे प्रतिदिन नया आयाम लिख रहा है। सरकार भी कई जगहों पर लॉकडाउन व कर्फ्यू (Lockdown and Curfew) के माध्यम से लोगों को घरों में रखने का प्रयास करती रही है। जरा सोचिए जब न छोटे शहर में न डॉक्टर थे न ही अस्पताल तब महामारी को लोग कैसे झेलते होंगे। क्वारंटाइन तब भी महामारी को रोकने का सबसे बड़ा सहारा था। यह कहना है कोचस प्रखंड के सावनडिहरी गांव निवासी व बिहार जेल सेवा से सेवानिवृत्त 101वर्षीय श्रीनिवास तिवारी का।
स्पेनिश फ्लू से बचाव में कारगर हुई थी फिजिकल डिस्टेंसिंग
बताते हैं कि बचपन में उनकी मां कहती थी कि 1918 में स्पेनिश फ्लू (Spanish Flu) का कहर पूरे विश्व मे फैला था। तब अपने देश व गांव में भी कई लोगों की मौत हुई थी। उस समय भी लॉकडाउन, आइसोलेशन और फिजिकल डिस्टेंसिंग ही बचाव के कारगर उपाय साबित हुए थे। उसके बाद जब हैजा और चेचक जैसी महामारी आई तब भी लोग संक्रमण से बचाव के लिए अलग-थलग रहने लगे। जहां हैजा फैलता उस गांव में लोग आते जाते नहीं थे न हीं वहां का खाना-पीना करते थे। इससे संक्रमण का प्रसार एक जगह से दूसरे जगह नहीं हो पाता था व रोग पर नियंत्रण कुछ ही दिनों में पा लिया जाता था। किसी भी संक्रमण से बचने के लिए सबसे पहले आसपास साफ सफाई रखना व शारीरिक दूरी का अनुपालन बहुत जरूरी होता है। इसी के बल पर महामारियों पर पहले लोग नियंत्रण पाते थे। श्रीनिवास तिवारी कहते हैं कि इस प्रकार की आपदा के दौरान शारीरिक दूरी बहुत ही कारगर उपाय है। पूर्व में भी कई महामारियों ने देश विदेश में जान माल का नुकसान पहुंचाया है। इस कोरोना महामारी में भी जितना लोगों से अलग रहेंगे, दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रहेंगे उतना ही लाभ होगा।