अध्ययन के साथ कुछ अर्जन की भी हो व्यवस्था
फोटो- -यादातर लोग आर्थिक तंगी के कारण नहीं ग्रहण कर पाते अछी शिक्षा डेविड कोलबर्ग ----------- -कहा भारत से अमेरिका का ग्राम्य जीवन भिन्न -उचित परिवहन की व्यवस्था नहीं होना भी शिक्षा में बाधक -बीएड विभाग में एक दिवसीय ग्रामीण जीवन पर संगोष्ठी जागरण संवाददाता गया
गया । यूएसए से आए शिक्षाविद् डेविड कोलबर्ग ने कहा कि भारत से अमेरिका का ग्राम्य जीवन भिन्न है। भारत में शिक्षा का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि अध्ययन के साथ कुछ अर्जन की भी व्यवस्था हो। ज्यादातर लोग अपनी आर्थिक तंगी के कारण अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि शिक्षा रोजगारन्मुखी हो।
वह गया कॉलेज के बीएड विभाग में 'ग्रामीण जीवन पर शिक्षा' विषय पर गुरुवार को आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्हेांने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा विशेष तौर से उसी परिवेश पर आधारित होनी चाहिए। गाव तक उचित परिवहन की व्यवस्था नहीं होना भी बाधक है। खासतौर से सुदूर वर्ती इलाकों में ज्यादा से ज्यादा विद्यालयों की व्यवस्था की जाए। हर स्तर पर जागरुकता अभियान चलाया जाए।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ डेविड कोलबर्ग, विभागाध्यक्ष एमबीए डॉ. अश्वनी कुमार, बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय धीरज एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मोहाफिज हुसैन और सभी शिक्षकों ने दीप जलाकर किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागध्यक्ष डॉ. धनंजय धीरज ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा का प्रकाश गाव-गाव तक पहुंचाना आप भावी शिक्षकों का परम कर्तव्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर सुधारने के लिए प्रत्येक शिक्षक को अपने जीवन काल से एक निश्चित अवधि देना होगा। सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों को ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे शिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
डॉ. अश्वनी कुमार ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में शिक्षा से कोई भी वंचित न रहे। शिक्षा से ही सभी का विकास संभव है।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मोहाफिज हुसैन एवं मंच का संचालन आशुतोष ने किया। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी अंजनी कुमार, सभी शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में काजल झा, अभिलाषा, संजना एवं नेहा ने स्वागत गीत प्रस्तुत की।