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जर्जर भवन और अव्यवस्थाएं पढ़ाई में बाधक

गया। प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर मटुआ मिडिल स्कूल में विभागीय पदाधिकारियों की निष्क्रि

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 02:56 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 02:56 AM (IST)
जर्जर भवन और अव्यवस्थाएं पढ़ाई में बाधक
जर्जर भवन और अव्यवस्थाएं पढ़ाई में बाधक

गया। प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर मटुआ मिडिल स्कूल में विभागीय पदाधिकारियों की निष्क्रियता के कारण बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। इस विद्यालय की दशा को देखने के बाद शिक्षा विभाग की सारी व्यवस्थाएं और सरकारी घोषणाएं सिमटती नजर आ रही हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या इमारत की है। दीवारों में दरारें और छत से प्लास्टर गिरता रहता है। विद्यार्थी ही नहीं, शिक्षक भी डरे-सहमे रहते हैं।

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गाव के समाजसेवी रूप नारायण यादव बताते हैं, वर्ष 1967 में जमीन दान देकर वर्ष 1968 में खुद विद्यालय का निर्माण करवाया। वह खुद भी इसी स्कूल में शिक्षक के पद पर आसीन रहे। कुछ वर्षो के बाद पक्का भवन भी बन गया। वर्ष 2008 में प्राथमिक से मिडिल का दर्जा मिला। सरकार किसी भी मिडिल स्कूल की मरम्मत के लिए प्रत्येक वर्ष बीस हजार रुपये देती है। इसके बावजूद विद्यालय भवन की कभी मरम्मत नहीं हुई। आज यहां कई समस्याएं हैं।

एक से आठवीं तक के 225 विद्यार्थियों के पढ़ाने के लिए एक टोला सेवक मिलाकर महज तीन शिक्षक हैं। एक शिक्षक हमेशा विभागीय कार्य में व्यस्त रहते हैं। वहीं, स्कूल में पेयजल की भी समस्या है। दो चापाकल में एक वर्षो से खराब है।

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शिक्षकों की कमी को लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को कई बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं हुआ है। रसोइयों की हड़ताल से मध्याह्न भोजन नहीं बन रहा है।

धनंजय कुमार, प्राचार्य

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शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित हो रहा है। विद्यार्थियों को पेयजल की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। विभाग को शीघ्र समस्या का समाधान करना चाहिए।

सुषमा कुमारी, कक्षा आठ

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विद्यालय भवन काफी जर्जर है। हमलोग हमेशा डरे-सहमे रहते हैं। अभिभावक भी आशंकित रहते हैं। बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है।

खुशबू कुमारी, कक्षा सात

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विद्यालय में एक चापाकल काफी दिनों से खराब है, जबकि दूसरा अक्सर बिगड़ा रहता है। विद्यार्थियों को काफी परेशानी हो रही है।

सुजीत कुमार, कक्षा सात

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विद्यालय में महज दो शिक्षक होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कमरे का भी घोर अभाव है। एक कमरे में दो कक्षाएं लगने से शिक्षक की बातों को समझ नहीं पाते हैं।

शबनम, कक्षा सात


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