राशि के अभाव में नहीं बन रहा सीवरेज, प्रदूषित हो रही मोक्षदायिनी फल्गु
गया। केंद्र सरकार की स्वच्छता रैंकिग में प्रदेश के सभी निकायों में गया शहर के अव्वल आने के बावजूद यहां फल्गु नदी में गंदे नाले का पानी सीधे जा रहा है।
गया। केंद्र सरकार की स्वच्छता रैंकिग में प्रदेश के सभी निकायों में गया शहर के अव्वल आने के बाद नगर निगम के कर्मचारियों व अधिकारियों के हौसला बुलंद हैं, लेकिन स्वच्छता रैंकिग के अहम बिदु में नदी किनारे सीवरेज के साथ गंदे पानी का ट्रीटमेंट करना भी प्रमुख कार्य है। सीवरेज और ट्रीटमेंट पर काफी अच्छे अंक स्वच्छता सर्वेक्षण में हैं, जिससे नगर निगम को वंचित रहना पड़ा है। दरअसल, शहर के पास से बहने वाली मोक्षदायिनी फल्गु में शहर के एक दर्जन से अधिक छोटे-बड़े नालों का गंदा पानी गिरता है। नदी किनारे सीवरेज का निर्माण नहीं होने से मोक्षदायिनी प्रदूषित हो रही है। सीवरेज के निर्माण के लिए नगर निगम लगातार प्रस्ताव सरकार को भेजी जा रहा है, उसके बाद भी सीवरेज का निर्माण नहीं हो पा रहा है। अगर नदी किनारे सीवरेज बना रहता तो शहर के स्वच्छता अंक में और वृद्धि होती है, जबकि इसे 2425 अंकों से ही संतुष्ट होना पड़ा है। केंदुई से कंडी तक बनी कार्ययोजना :
फल्गु नदी किनारे सीवरेज का निर्माण की कार्ययोजना नगर निगम ने तैयार कर रखी है। सीवरेज का निर्माण केंदुई से लेकर कंडी तक करना है। साथ ही कंडी के पास ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की भी योजना है, लेकिन सरकार द्वारा राशि आवंटित नहीं किए जाने के कारण सीवरेज का निर्माण नहीं हुआ है। सीवरेज के निर्माण पर करीब 30 से 35 करोड़ रुपये खर्च होंगे। नदी को प्रदूषित कर रहा नालों का गंदा पानी :
फल्गु नदी में कई नालों का गंदा पानी गिर रहा है, जिससे नदी प्रदूषित हो रही है। नदी में दंडीबाग में दो नाला, मनसरवा नाला, नादरागंज नाला, मल्लाहटोली नाला, पितामहेश्वर नाला, मिट्टी घाट नाला, बाटम नाला, सीडियां घाट नाला, किरानी घाट नाला, मोरियाघाट नाला, इकबाल नगर नाला, धोबिया घाट नाला सहित कई नालियां भी गिर रही हैं। वहीं नदी के दूसरी तरफ मानपुर से भी कई नाले नदी में गिर रहे हैं। प्रदूषित से नदी बचाने के लिए सीवरेज के साथ-साथ ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी जरूरी है। एक करोड़ रुपये से बना नाला हो गया बेकार :
मनसरवा नाले का गंदा पानी नदी में गिरने से रोकने लिए शहर के लखनपुरा से लेकर गायत्री घाट का नाले का निर्माण किया गया था। नाले का निर्माण जिला शहरी विकास अभिकरण विभाग द्वारा किया गया है। इसके निर्माण पर एक करोड़ की राशि खर्च की गई थी, लेकिन नाला हाथी का दांत साबित हो रहा है। ऊंचाई अधिक होने के कारण पानी नाले में नहीं जाकर नदी में बह जाता है। नाले का गंदा पानी देवघाट पर बहने के कारण पिडदानियों के साथ आम लोगों को भी परेशानी हो रही है। कोट :-
सीवरेज को लेकर सर्वे का काम प्रारंभ हो गया है। जल्द ही सर्वे का काम पूरा हो जाएगा। सर्वे बुडको द्वारा किया जा रहा है। साथ ही नाले का गंदा पानी को साफ करने के लिए बिथो के पास ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है।
-सावन कुमार, नगर आयुक्त