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Sasaram Panchayat Chunav: सासाराम में पंचायत चुनाव हुआ दिलचस्‍प, वोटर भी चुप्पी साध प्रत्याशियों को छका रहे

मतदाता पिछले पांच सालों में किसने कितना विकास का काम कियाआने वाले पांच सालों में कौन संभावित प्रत्याशी बेहतर होगा इसका डेटा तैयार कर रहे हैं। अधिकांश निवर्तमान प्रतिनिधियों के दिल की धड़कनें तो जनता के परिवर्तन के मिजाज को देखकर बढ़ी हुई है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 02:42 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 02:42 PM (IST)
Sasaram Panchayat Chunav: सासाराम में पंचायत चुनाव हुआ दिलचस्‍प, वोटर भी चुप्पी साध प्रत्याशियों को छका रहे
चुनाव में अपने अंदाज से मतदाताओं को आकर्षित कर रहे प्रत्याशी, सांकेतिक तस्‍वीर।

सासाराम/ रोहतास, जागरण संवाददाता। 'भइया बहिनी लोग हाथ जोड़ के विनती कर रहल बानी। अबकी बार जीत के आशीर्वाद दिहींजा, हम वादा करत बानी पूरा पांच साल केहू के भी निराश ना होखे देब। हमेशा सेवा करत रहब। पंचायत के विकास खातिर  जी जान लगा देब।' पंचायत चुनाव के प्रचार में इस बार अलग अलग रंग देखने को मिल रहा है। प्रत्याशी अपने -अपने तरीके से वोटरों को रिझाने और अपना हित साधने में जुटे हुए हैं। कोई पहली बार जीत का आशीर्वाद मांग रहा तो कोई दूसरी बार भी सेवा का मौका देने की प्रार्थना में जुटा हुआ है। इन सब के बीच वोटर भी चुप्पी साध प्रत्याशियों को छका रहे हैं।

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हालांकि वोट मांगनेवालों को वोटर निराश नहीं कर रहे हैं। जो भी दरवाजे पर वोट की याचना ले पहुंच रहा है। उसका बाकायदा आवभगत किया जा रहा है। खातिरदारी के बाद वोट उन्हीं को देने को आश्वस्त भी कर रहे हैं। इस बार के चुनाव में वार्ड सदस्य पद को लेकर भी लोगों में क्रेज बढ़ा हुआ है। अबतक के नामांकन के आंकड़ों को देखें तो वार्ड सदस्य पद के लिए सर्वाधिक नामांकन हुआ है। यूं तो वार्ड का पद केवल वार्ड तक ही सीमित होता है,लेकिन वार्ड सदस्यों के अधिकार में बढ़ोत्तरी के बाद से इस पद के लिए भी अब होड़ मची हुई है। मतदाता भी इस बार चुप्पी साध  प्रत्याशियों का हिसाब किताब लगा रहे हैं। पिछले पांच सालों में किसने कितना विकास का काम किया ,आने वाले पांच सालों में कौन संभावित प्रत्याशी विकास के पैमाने पर फिट बैठेगा इसका डेटा मतदाता भी तैयार कर रहे हैं। अधिकांश निवर्तमान प्रतिनिधियों के दिल की धड़कनें तो जनता के परिवर्तन के मिजाज को देखकर बढ़ी हुई है। कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो अपने आचरण और विकास कार्य का हवाला दे अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं, लेकिन आखिरी फैसला तो मतदाता को ही करना है।


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