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चिकित्सक के साथ अच्छे साहित्यकार व समाजसेवी थे रामाशीष बाबू, ऑनलाइन सभा में दी श्रद्धांजलि

औरंगाबाद के प्रसिद्ध चिकित्‍सक व समाजसेवी डाॅ. रामाशीष सिंह के निधन पर ऑनलाइन शोकसभा की गई। इसमें आइएमए हॉल का नामाकरण उनके नाम पर करने का निर्णय लिया गया। वक्‍ताओं ने कहा कि वे अच्‍छे समाजसेवी साहित्‍यकार के साथ कुुशल चिकित्‍सक थे।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 11:11 AM (IST)
चिकित्सक के साथ अच्छे साहित्यकार व समाजसेवी थे रामाशीष बाबू, ऑनलाइन सभा में दी श्रद्धांजलि
औरंगाबाद के चिकित्‍सक को दी गई श्रद्धांजलि। प्रतीकात्‍मक फोटो

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। जन विकास परिषद, बासमती सेवा केंद्र एवं जनेश्वर विकास केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को प्रसिद्ध चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ.रामाशीष सिंह के असामयिक निधन  पर ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त व्याख्याता डॉ. रामाधार सिंह ने की। |जबकि संचालन प्रो. संजीव रंजन ने किया।

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इतने बड़े होने के बावजूद थे सहज और सरल 

सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने बताया कि इलाहाबाद विवि के एसोसिएट प्रोफेसर कुमार बिरेंद्र ने विषय प्रवेश के क्रम में कहा कि डॉ रामाशीष बाबू के व्यक्तित्व की विशालता का ही परिणाम था कि बढ़ई, पेंटर ,माली, रिक्शावाला,जनप्रतिनिधि, साहित्यकार ,अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र, शिक्षक सभी अपने को उनके करीबी होने का मुकम्मल एहसास करते थे। शिक्षक सुरेश विद्यार्थी ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। वहीं लेखक डॉ. सुरेंद्र  मिश्रा ने कहा कि समकालीन जवाबदेही, बतकही, शब्द के चितेरे ,हिंदी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक डॉ रामाशीष बाबू चिकित्सक के साथ-साथ संवेदनशील साहित्यकार थे। "मोहक संसार की यही कहानी "रचना से यह परिलक्षित होता है। मुस्ताक अहमद ने उन्हें समाज के वंचित वर्ग का सेवक बताया।

मां के कहने पर जुटे थे पीड़ि‍त मानवता की सेवा में   

शिवनारायण  सिंह ने रामाशीष बाबू के कहा कि एक बार उनकी मां  रामाशीष बाबू के साथ एक चिकित्सक के पास इलाज कराने गई। तो चिकित्सक ने दोपहर में इलाज करने से मना कर दिया। रामाशीष बाबू की मां ने कहा कि तुम जब चिकित्सक बनना तो बिना सभी रोगी को देखें आराम मत करना। संगोष्ठी में मौजूद जिला परिषद औरंगाबाद के पूर्व अध्यक्ष  राघवेंद्र प्रताप सिंह, सियाराम सिंह, उज्जवल रंजन, शिक्षक चंद्रशेखर प्रसाद साहू, राम भजन सिंह, दीपक कुमार गुप्ता , डॉ राजेंद्र प्रसाद, रामचंद्र सिंह ,प्रो० गिरिजा नंदन सिंह, दिनेश प्रसाद  ,स्वर्ण जीत सिंह ,अरविंद अकेला, दीपक कुमार वर्मा, लाल बहादुर शास्त्री, वरुण कुमार सिंह ,वेद प्रकाश तिवारी, सारंगधर सिंह, प्रेमेंद्र ,उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्रीकांत अग्रवाल , हाजी मुश्ताक अहमद ,रामजी सिंह जैसे प्रबुद्ध जनों ने भी डॉ. रामाशीष बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। श्रद्धांजलि सभा में सहभागिता निभाने वाले सभी प्रबुद्ध जनों को कार्यक्रम संयोजिका कविता विद्यार्थी ने अश्रुपूरित नेत्रों से धन्यवाद ज्ञापित किया।


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