सप्तऋषियों की धरती रजौली पहली बार बना है नगर पंचायत, जेपी नारायण का रहा है नाता, जानिए रजौली का इतिहास और भूगोल
कल तक ग्राम पंचायत रजौली आज नगर निकाय बना है। नगर सरकार के लिए अक्टूबर में मतदान होना है। रजौली नगरवासियों में काफी उत्साह है। क्षेत्र के चौक चौराहे से लेकर चाय दुकान और घर के भीतर भी पहली बार होने वाले नगर पंचायत की चुनावी चर्चा जोरों पर है।
राहुल कुमार, रजौली(नवादा): दक्षिणी बिहार के नवादा जिला अंतर्गत रजौली अनुमंडल सप्तऋषियों की धरती कहलाती है। ऊंची-ऊंची पहाड़ी और घने जंगल से घिरा यह क्षेत्र अनुपम है। उड़ीसा, झारखंड जैसे प्रदेश के अलग होने से पहले रजौली ने इन सभी को नजदीक से देखा है। कल तक ग्राम पंचायत रजौली आज नगर निकाय बना है। नगर सरकार के लिए अक्टूबर में मतदान होना है। रजौली नगरवासियों में काफी उत्साह है। नगर क्षेत्र के चौक चौराहे से लेकर चाय दुकान और घर के भीतर भी पहली बार होने वाले नगर पंचायत की चुनावी चर्चा जोरों पर है। अनुमंडल कार्यालय में नामांकन स्थल पर भीड़ जुट रही है। पहली बार नगर पंचायत के चुनाव में सभी अपना-अपना भाग्य अजमाने की तैयारी में जुटे हैं। किसी ने अपनी पत्नी को तो किसी ने अपनी भाभी को चुनाव मैदान में उतारा है। कोई खुद चुनाव लड़ रहे हैं। हर वार्ड में मुकाबला दिलचस्प है।
350 वर्ष पुराना है रजौली संगत का इतिहास
नगर क्षेत्र में स्थित रजौली संगत का इतिहास 350 वर्ष पुराना है। नगर के ही तकिया मोहल्ले में स्थित दाता कालन शाह का मजार भी उसी समय का है। राज शिवाला और ठाकुरबाड़ी भी यहां की धरोहरों में शामिल है। सभी का अपना अलग अलग इतिहास है। जानकार बताते हैं कि सन 14 सौ 46 ईसवी में संगत में श्री चंद महाराज आए थे।
पुराने अनुमंडल कार्यालय के भवन में शिफ्ट हुआ कार्यालय
रजौली नगर क्षेत्र स्थित प्रखंड कार्यालय परिसर में पुराना अनुमंडल कार्यालय जिसमें चलता था उसी में नगर पंचायत का कार्यालय खोला गया है। पहले एक ही कैंपस में एसडीओ और एसडीपीओ बैठा करते थे। धीरे-धीरे बदलते समय के साथ बदलाव होता गया। अब अनुमंडल को अपना एक नया भवन मिल गया है। जिसमें एसडीओ, एसडीपीओ सहित अन्य कई पदाधिकारी वहां बैठते हैं। नगर क्षेत्र में सभी प्रमुख कार्यालय स्थित है।इसी क्षेत्र में 1946 इस्वी में स्थापित रजौली इंटर विद्यालय भी है। जहां से पढ़कर अनेकों युवाओं ने इंजीनियर, डाक्टर व राजनीति के ऊंचे शिखर तक की यात्रा की है।
बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित है रजौली
पटना-रांची रोड एनएच-31 रजौली के बगल से नया बाईपास गुजरा है। पहले रजौली के बीच बाजार से होकर यह सड़क निकली थी। बिहार के उत्तरी जिलों से आने वाले लोगों को यह मालूम होता है कि रजौली बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित है। झारखंड की ओर बढ़ने पर यहीं से घाटी की शुरुआत होती है। यहां का मशहूर बालूशाही सबकी मुंह में मिठास भरता है। दूर-दराज से आने वाले लोग यहां रुक कर अपने घर परिवार के लिए है बालूशाही खरीद कर ले जाना नहीं भूलते हैं।
जेपी नारायण तक का रजौली से रहा है नाता
रजौली के डेवढी स्थित बांग्ला आज भी अपने आप में कई इतिहास समेटे हुए है। एक समय था जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति और जयप्रकाश नारायण इस बंगले पर आकर बैठते थे। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी गौरी शंकर शरण सिंह के साथ बैठकर कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होती थी। उस समय में डेवढी के बगल में स्थित एक बगीचा था जहां भारत के प्रमुख राजनीतिक दल के नेता बैठकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए रणनीति बनाते थे।
रजौली नगर पंचायत में 20 हजार 336 की है आबादी
रजौली नगर क्षेत्र का बंटवारा इस प्रकार से किया गया है कि इसे धनार्जय नदी के किनारे से लिया गया है,जिसमें कुल जनसंख्या 20 हजार 336 है,जबकि पूरे नगर क्षेत्र में 17614 मतदाता हैं। जिसमें विभिन्न जाति के और समुदाय के लोग निवास करते हैं। रजौली नगर क्षेत्र मुख्य रूप से वैश्य बहूल इलाका है।