Bihar News: गांवों को स्वावलंबन की राह दिखा रहे रोहतास के ये अनोखे बैंक, यहां कर्ज लेकर भूलते नहीं हैं लोग
20 वर्ष में कोई खाता एनपीए नहीं बैंकिंग का अनोखा सिस्टम साल में एक बार ब्याज समेत मूलधन जमा करें फिर दूसरे ही दिन दोबारा ले लें ऋण आर्थिक स्वावलंबन की सुगंध बिखेर रहा चंदनपुरा पैक्स 60 लोगों को अब तक दिया जा चुका ऋण
प्रेम पाठक, रोहतास। गांवों में उधार में सामान या रुपये देने वाले दुकानदारों व साहूकारों की प्राचीन परंपरा थी कि वे हर वर्ष दीपावली से पहले धनतेरस के दिन तक पुराना बही-खाता बंद कर देते थे। इसके लिए उधार लिए व्यक्तियों से पूरी रकम ब्याज समेत जमा करा लेते थे, फिर जरूरत पड़ने पर दीपावली के बाद उस व्यक्ति को इच्छित सामान या रकम दोबारा उधार दे देते थे। साहूकारी का ठीक यही देसी तरीका बिहार में रोहतास जिले के डेहरी अनुमंडल की चंदनपुरा पैक्स ने अपनी बैंकिंग प्रणाली में अपनाया है और 20 वर्ष से सफल है। राष्ट्रीयकृत बड़े बैंकों की तरह इनका कोई खाता एनपीए यानी ऐसा नहीं है जिससे पैसा वसूला न जा सके। कोई ऋणी डिफाल्टर नहीं है।
पैक्सों के जरिए सुधर रही गांवों की अर्थव्यवस्था
जिले में आधा दर्जन पैक्स गांवों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बैंक का संचालन कर रहे हैं। इससे पैक्स को तो आमदनी हो ही रही है, जरूरतमंद लोगों को आर्थिक संबल भी मिला है। चंदनपुरा पैक्स एक उदाहरण है। इस पैक्स में बैंक का संचालन वर्ष 2002 में मात्र 50 बचत खाताधारकों के साथ प्रारंभ हुआ था। आज इसके 2,998 खाताधारक हैं। प्रतिनिधियों की जवाबदेही तय है। इस कारण बैंक प्रबंधन, सरकारी दर पर अनाज खरीद और जन वितरण प्रणाली की दुकान की व्यवस्था और सुदृढ़ हुई है।
कई ऐसे किसान थे, जो व्यापार कर आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहते थे, किंतु बैंक लोन की जटिल प्रक्रिया और पूंजी के अभाव में ऐसा नहीं कर पा रहे थे। दस वर्ष के दौरान चंदनपुरा पैक्स के बैंक से पंचायत के ६० किसानों ने ऋण लेकर अपना व्यापार शुरू किया। इनमें से कोई असफल नहीं हुए और खेती से अतिरिक्त कमाई कर परिवार का भरण पोषण बेहतर तरीके से कर रहे हैं।
12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण
पैक्स अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि वर्ष 2009 से पैक्स अध्यक्ष के रूप में कार्य प्रारंभ करने के पश्चात बैंक का संचालन और प्रबंधन सुदृढ़ करने का प्रयास किया है। बैंक का वार्षिक लेन देन चार करोड़ रुपये पहुंच गया है। ग्राहकों को बैंक में जमा राशि पर आरबीआइ के नियम और शर्तों के अनुसार तीन प्रतिशत ब्याज देते हैं। वर्ष में एक बार पूरा ऋण ब्याज समेत जमा कराते हैं, फिर वह व्यक्ति चाहे तो दूसरे ही दिन दोबारा ऋण दे देते हैं।
25 हजार से खोली किराना दुकान, आज दो लाख का कारोबार
ऋण धारक चंदनपुरा निवासी अमरेश कुमार बताते हैं कि पांच वर्ष पहले पैक्स से 25 हजार रुपए ऋण लेकर किराना दुकान खोली। आज दुकान की स्थिति बेहतर है। कारोबार दो लाख रुपए से अधिक हो गया है। इसी दुकान की कमाई से आजीविका अच्छे से चल रही है। बच्चों को पढ़ा पा रहा हूं। पैक्स बैंक मेरे लिए वरदान सिद्ध हुआ। इससे पहले सिर्फ खेती से गुजारा मुश्किल था। मिथिलेश कुमार कहते हैं कि पैक्स से ऋण लेकर इलेक्ट्रानिक सामान की दुकान खोली। पंचायत में ऐसी दुकान नहीं थी। व्यवसाय चल निकला। उधार चुकता कर दिया है।