उम्मीदों की इस सरजमीं पर दोबारा फतह की जुगत
[विकाश चन्द्र पाण्डेय] गया लोकसभा के पिछले चुनाव में तिरहुत के बाद राजग के लिए बिहार में सवा
[विकाश चन्द्र पाण्डेय] गया
लोकसभा के पिछले चुनाव में तिरहुत के बाद राजग के लिए बिहार में सर्वाधिक उर्वर मगध प्रमंडल रहा। उस कामयाबी को इस चुनाव में भी दोहराने की रणनीति है। इसके लिए इस बार निचले स्तर के प्रयास पर विशेष दारोमदार होगा। भाजपा के शक्ति केंद्र प्रभारियों की बैठक इसी मकसद से। 2014 में मोदी लहर चल रही थी। मगध प्रमंडल में चारों सीटों पर राजग उम्मीदवार कामयाब रहे। राजग के लिए तिरहुत के बाद सीटों की संख्या से यह दूसरा बड़ा प्रमंडल रहा। भाजपा के खाते में औरंगाबाद की सीट दूसरी बार और गया की सीट तीसरी बार आई। नवादा में तो जीत का अंतर मगध प्रमंडल में सर्वाधिक (140157) रहा। भाजपा के लिए वहां पहली कामयाबी थी। जहानाबाद पर सहयोगी रालोसपा के डॉ. अरुण कुमार विजयी रहे थे। इस बार भी हर कील-कांटा दुरुस्त रखने के मकसद से ही 29 जनवरी को बोधगया में पांच लोकसभा क्षेत्रों के शक्ति केंद्र प्रभारियों का प्रशिक्षण हो रहा है। जदयू के साथ से बदला समीकरण : एक अंतराल के बाद इस बार राजग के साथ जदयू भी है, लिहाजा मगध का बगलगीर नालंदा लोकसभा क्षेत्र महत्वपूर्ण बन जाता है। नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र है। पिछले चुनाव में जदयू के खाते में आई दो सीटों (नालंदा और पूर्णिया) में से एक। तब कांटे की टक्कर रही थी। दस हजार से भी कम मतों के अंतर से लोजपा हारी थी। इस बार समीकरण बदल चुका है। कांग्रेस से छीनी थी सीट : गया मगध प्रमंडल में भाजपा के लिए सबसे विश्वसनीय क्षेत्र है। कांग्रेस से होते हुए यह सीट भाजपा के खाते में आई। पिछले चुनाव में हरि मांझी लगातार दूसरी बार विजयी रहे। राजद के रामजी मांझी को मात मिली थी। रामजी मांझी यहां से एक बार भाजपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। राजद से दूर रहा औरंगाबाद : औरंगाबाद कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। पिछले चुनाव में भाजपा को पहली बार कामयाबी मिली। सुशील कुमार सिंह ने कांग्रेस के निखिल कुमार को मात दी थी। भाजपा के सहयोग से सुशील समता पार्टी और जदयू के टिकट पर दो बार पहले भी जीत चुके हैं। निखिल कुमार और उनकी पत्नी श्यामा सिंह से उन्हें मात भी मिलती रही है। दिलचस्प यह कि यहां राजद को कभी मौका नहीं मिला। नवादा को लेकर सतर्क भाजपा : नवादा गाहे-ब-गाहे सभी दलों को अपनाता रहा है। निर्दलीय तक को मौका दिया, लेकिन समय के साथ दक्षिणपंथ का परचम बुलंद होता गया। इस क्षेत्र की नाजुक मिजाजी यह है कि 1991 के बाद लगातार दूसरी बार किसी पार्टी को मौका नहीं मिला। भाजपा इसीलिए खबरदार है। पिछले चुनाव में गिरिराज सिंह यहां से विजयी रहे थे। केंद्र में मंत्री भी बने। जहानाबाद का अलग मिजाज : जहानाबाद कभी कम्युनिस्टों का गढ़ हुआ करता था। बाद में यहां से समाजवाद के बिखरे खेमों की नुमाइंदगी रही। पिछले चुनाव में रालोसपा के डॉ. अरुण कुमार विजयी रहे। राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव को उन्होंने मात दी थी। राजद यहां से दो बार विजयी रह चुका है। भाजपा के सहयोग से दो बार जदयू भी।
मामूली अंतर से मात खाई थी लोजपा : नालंदा में पिछली बार लोजपा मामूली मतों के अंतर से मात खा गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बदौलत कौशलेंद्र कुमार को लगातार दूसरी जीत मिली। वह जदयू की लगातार पांचवीं जीत थी। उससे पहले दो बार समता पार्टी भी विजयी रही।
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मगध की जनता राजग की शुभेच्छुक है। जनता जानती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही देश का हित है। मगध प्रमंडल में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की जीत तय है।
- नित्यानंद राय, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष