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शून्य में रह जाएंगे पितृ, अगर गया में नहीं लगेगा पितृपक्ष मेला; प्रशासन और जनता के बीच असमंजस

मृत्यु के बाद भी सनातन धर्म में पूर्वजों का समय-समय पर स्मरण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि श्राद्ध नहीं किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। आगामी 20 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 07:22 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 07:22 AM (IST)
शून्य में रह जाएंगे पितृ, अगर गया में नहीं लगेगा पितृपक्ष मेला; प्रशासन और जनता के बीच असमंजस
गया में पितृपक्ष में पिंडदान करते श्रद्धालु। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, गया। सनातन धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है। मृत्यु के बाद भी सनातन धर्म में पूर्वजों का समय-समय पर स्मरण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि श्राद्ध नहीं किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। आगामी 20 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। हालांकि, त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी 19 सितंबर से पुनपुन वेदी से श्रद्धाकर्म शुरू करेंगे। इस वर्ष भी पितृपक्ष मेले के आयोजन को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी है। अगर पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं हुआ तो पितृ शून्य में रहेंगे। भगवान श्रीहरि के दरबार का द्वार खुल गया है। साथ ही पितृपक्ष को लेकर तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क करने लगे हैं।

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सनातन धर्म में पितृपक्ष का महत्व

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है। इसी कारण पितृपक्ष में बड़ी संख्या में देश-विदेश में पिंडदानी आते हैं। एक पखवारे तक चलने वाले पितृपक्ष में करीब सात से आठ लाख तीर्थयात्री आते हैं। यहां पिंडदान कर अपने पितरों के लिए मोक्ष की कामना करते है। मान्यता है कि पितृपक्ष में कर्मकांड करने से पितरों का मोक्ष आसानी से मिल जाता है।

कन्या की संक्रांति में पिंडदान का विशेष महत्व

कन्या की संक्रांति में पिंडदान काफी महत्व है। श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुपुत ने कहा कि सनातन धर्म में जिस तरह पूजा-पाठ का शुभ मुहूर्त होता है, उसी तरह पितृपक्ष का भी शुभ मुहूर्त होता है। कन्या की संक्रांति में पितृपक्ष का शुभ मुहूर्त है। इस मुहूर्त में पिंडदान गया में करने का विशेष महत्व है। पिंडदान से पितरों की मुक्ति मिलती है। यहां आकर पिंडदानी मोक्षदायिनी फल्गु के पवित्र जल से तर्पण और पिंडदान कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते है।

कोरोनाकाल से नहीं लग रहा मेला

पितृपक्ष मेले को लेकर असंमजस की स्थिति बनी हुई है। पितृपक्ष शुरू होने में अब कुछ दिन शेष रह गए हैं, फिर भी प्रशासन की ओर से कोई जुंबिश नहीं शुरू हुई है। तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क कर रहे है, लेकिन पंडों की ओर से सरकार की कोरोना गाइडलाइन व परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने की बात कही जा रही है।


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