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अब त्रासदी नहीं झेलेगी 'फल्गु' नदी, कहा गयावासियों ने-वापस लााएंगे इसकी धार

फल्गु नदी जिसके तट पर देश-विदेश से लोग अपने पितरों को मुक्ति दिलाने आते हैं। वो नदी त्रासदी झेल रही है, लेकिन अब स्थानीय लोगों ने इस नदी की अविरल धारा को वापस लाने का प्रण किया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 10:14 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 07:33 PM (IST)
अब त्रासदी नहीं झेलेगी 'फल्गु' नदी, कहा गयावासियों ने-वापस लााएंगे इसकी धार
अब त्रासदी नहीं झेलेगी 'फल्गु' नदी, कहा गयावासियों ने-वापस लााएंगे इसकी धार

गया [कमल नयन]। बिहार के गया शहर में नई गाथा लिखी जा रही है। आस्था की प्रतीक अपनी फल्गु नदी को बचाने के लिए लाखों लोग एकजुट हो रहे हैं। फल्गु को प्रदूषण और अतिक्रमण से मुक्त कराने की मुहिम रंग ला रही है और शासन-प्रशासन भी हरकत में आया है। नगर निगम बोर्ड ने नदी के किनारे 37 करोड़ की लागत से नाला निर्माण की योजना को पारित कर दिया है। 

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दैनिक जागरण ने फल्गु की त्रासदी को लेकर लगातार अभियान चलाते हुए सभी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया। स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक किया तो राष्ट्रीय स्तर पर भी फल्गु की दुर्दशा को आमजन और सरकार के सामने रखा। परिणामस्वरूप अब उम्मीद मुकाम की ओर बढ़ चली है। 

इस नदी से देश-दुनिया के करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था जुड़ी है। अब तो यूएसए, रूस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड आदि देशों के भी लोग पूर्वजों के मोक्ष की कामना लेकर इसके तट पर आते हैं।

दुर्भाग्यवश यह नदी प्रदूषित और संकुचित होती चली गई, जिसके तट पर कभी भगवान राम भी अपने पिता को तर्पण अर्पण करने आए थे। पौराणिक मान्यता और शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन है कि इस नदी के स्पर्श भर से पुरखे तृप्त हो जाते हैं। 

पिछले एक दशक से फल्गु खुद पानी के लिए तरस गई। लेकिन लोग अब इसे बचाने की ठान चुके हैं। 

फल्गु नदी के पश्चिमी तट पर बसे गया शहर के नौ बड़े नाले फल्गु में गिरते हैं। शहर की आधी आबादी से अधिक क्षेत्र का गंदा पानी नदी में गिराया जाता है।

बिहार प्रदूषण बोर्ड ने भी इसे बंद करने की अनुशंसा की थी, लेकिन इसकी सुध नहीं ली गई। तब दैनिक जागरण अभियान के साथ जनता के बीच गया। लोग इससे जुड़े, इसकी त्रासदी की कहानी सुनकर संवेदना जाग उठी।

मेयर वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान कहते हैं कि इसके एक-एक शब्द ने उन्हें झकझोर दिया।

उन्होंने कहा कि विभागीय अभियंता को पूरे निर्माण की योजना बनाने का आदेश दे दिया गया है। सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा रहा है। अब फल्गु में नियत स्थान पर ही दाह-संस्कार होगा। दूसरी जगह करने पर दंड के प्रावधान होंगे। 

 

फल्गु में हमेशा पानी रहे, इसके लिए वियर बांध बनाने की मांग की जा रही है। नगर विकास परिषद हस्ताक्षर अभियान चला रहा है। इसके संयोजक लालजी प्रसाद कहते हैं कि फल्गु सिर्फ गया का नहीं, राष्ट्रीय मुद्दा है। स्वयंसेवी संस्था प्रतिज्ञा ने प्रत्येक पूर्णिमा इसके तट पर वाराणसी की तर्ज पर महाआरती की शुरुआत की है। इसके आयोजक बृजनंदन पाठक कहते हैं कि इसमें बड़ी संख्या में लोग शरीक हो रहे हैं। जागरण ने एक संस्कृति को बचाने का अभियान शुरू किया, यह सराहनीय है। राज्य और केंद्र सरकार को नमामि गंगे की तर्ज पर फल्गु के लिए भी योजना बनानी चाहिए। 


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