जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं यात्री, भेंड़-बकरियों की तरह ठूंसे जाते हैं गाडि़यों पर
औरंगाबाद जिले में सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग रहा। आए दिन हादसे होते रहते हैं। बावजूद वाहनों पर ओवरलोडिंग का सिलसिला नहीं थम रहा है। लेकिन इस ओर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही आम लोग सचेत हाे रहे हैं।
जेएनएन, औरंगाबाद /गया । आए दिन हादसे होने के बावजूद औरंगाबाद जिले में ग्रामीण रूटों पर चल रहे लड़खड़ाते वाहनों में ओवरलोडिंग पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। अधिक कमाई के लालच में वाहन चालक ग्रामीणों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके बावजूद न तो पुलिस प्रशासन ध्यान दे रहा है और नहीं परिवहन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई की जा रही है।
साधनों का अभाव और गंतव्यों पर पहुंचने की मजबूरी के चलते ग्रामीणों को रोजाना अपनी जान हथेली पर रखकर सफर करने को विवश होना पड़ रहा है। छत पर बैठने वालों में अधिकर छात्र होते हैं। कम पैसा होने के कारण बस में सवार कंडक्टर उन्हें अंदर नहीं बैठने देता है जिस कारण मजबूरी वश छात्र बस के छत पर बैठकर यात्रा करते हैं। भेड़-बकरियों की तरह लादे जा रहे यात्री यात्रियों को वाहनों को भेड़-बकरियों की तरह लादे जा रहे हैं। उनके अधिक किराया वसूला जा रहा है।
टेंपो पर लादे जाते हैं 10 से 12 लोग
औरंगाबाद से डेहरी की दूरी 27 किलोमीटर है परंतु किराया 40 रुपया लिया जा रहा है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। परिवहन विभाग के द्वारा एक नियम राशि निर्धारित की गई है जो बसों में नहीं लिया जा रहा है। विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। अधिक किराया वसूली को लेकर यात्री परेशान रह रहे हैं। ज्यादातर दुर्घटनाएं ओवर लोडिंग व तेज रफ्तार के कारण हुई। जिले में कई ग्रामीण रूट आज ऐसे हैं, जहां आवागमन के समुचित साधन उपलब्ध नहीं है। इसका फायदा उठाकर वाहन चालक मनमानी करते हैं। वाहन मालिक ज्यादा कमाई के फेर में सवारियों को भेड़ बकरियों की तरह भरते हैं। एक टेंपो में पांच से छह यात्रियों की बैठने की जगह होती है परंतु उसमें 10 से 12 यात्री को बैठाया जाता है। छत और पायदान पर लटकते हुए कर रहे सफर हिचकोले मारते वाहनों में किस कदर परिवहन नियमों का मखौल उड़ाया जा रहा है इसे जिले के अधिक ग्रामीण रूटों पर आसानी से देखी जा सकती है। देव एवं मदनपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे लड़खड़ाते वाहनों में क्षमता से चार गुना अधिक सवारियां बैठाई जाती है। बस के छत के अलावा पायदान पर पुरुष और महिलाएं भी लटकते हुए सफर करती देखी जा सकती है।