दस मिनट का भाषण देकर चले गए थे पंडित नेहरू
सेवानिवृत्त बैंककर्मी जनेश्वर सिंह 85 साल से अधिक उम्र के हैं। उन्होंने कई चुनाव देखे हैं। उनकी स्मृतियों में वे आज भी हैं। तब के दौर से अब तक हुए बदलाव की कहानी। वे समाज के लिए भी प्रेरणा हैं। वे कहते हैं मतदान हमेशा मेरी प्राथमिकता रही।
सेवानिवृत्त बैंककर्मी जनेश्वर सिंह 85 साल से अधिक उम्र के हैं। उन्होंने कई चुनाव देखे हैं। उनकी स्मृतियों में वे आज भी हैं। तब के दौर से अब तक हुए बदलाव की कहानी। वे समाज के लिए भी प्रेरणा हैं। वे कहते हैं, मतदान हमेशा मेरी प्राथमिकता रही। कोई भी चुनाव हो मैं मतदाधिकार के प्रयोग से कभी नहीं चूका। लोकसभा हो या विधानसभा का चुनाव। पहले मतदान, फिर सारा काम उनकी पहली प्राथमिकता रही है। 1952 में मतदान नहीं कर सके थे। लेकिन कोडरमा (वर्तमान में झारखंड का हिस्सा) में पहली बार मताधिकार का प्रयोग किया था। उसके कुछ वर्ष बाद मेरा तबादला भारतीय स्टेट बैंक की बोधगया शाखा में हो गया और मैं यहां आ गया। उस समय कांग्रेस का चुनाव चिह्न हल-बैल हुआ करता था। पंजा चिह्न बाद में मिला। जब मैं गया में रहकर पढ़ रहा था तो लोकसभा के चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू भाषण देने आने वाले थे। तब उन्हें दूर से देखा और उनके भाषण को सुना था। महज दस मिनट में अपना भाषण समाप्त कर वे यहां से चले गए थे। उस वक्त बिहार में मात्र 17 जिले थे और उन्होंने एक दिन में ही सभी जिले में चुनावी सभाएं की थी। तब बैलगाड़ी, टमटम और जीप से चुनाव प्रचार होता था। कार्यकर्ता ही गांव-गांव जाकर जनसंपर्क करते थे। पार्टी और चेहरे पर वोट हुआ करता था। चुनावी लोक लुभावन वायदे कम होते थे। लोग मतदान से एक दिन पहले गांवों में चौपाल लगाकर मताधिकार का प्रयोग सुनिश्चित करने का निर्णय लेते थे। पहले पुरुष और फिर महिलाओं को मतदान कराया जाता था। नई-नवेली बहुएं भी घूंघट में वोट देने जाती थी। इसके बाद वह दौर भी जब आया, जब मतदान केंद्र लूटे जाने लगे। बाद में ईवीएम से मतदान शुरू हुआ तो इस पर रोक लगी। मतदान बहुत बड़ा अधिकार है और सभी को इस चुनावी महापर्व में अपने अधिकार कर इस्तेमाल करना चाहिए।
(दैनिक जागरण आपके शतायु होने की कामना करता है।)