366 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए महज चार शिक्षक
टनकुप्पा प्रखंड के गिंजोय खुर्द प्राइमरी स्कूल में शिक्षकों के साथ ही अन्य समस्याओं का घोर अभाव है।
हिमांशु गौतम, टनकुप्पा
प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर और बोधगया प्रखंड की सीमा से सटे अति पिछड़ा क्षेत्र गिंजोय खुर्द के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसके अलावा पेयजल और शौचालय की समस्या भी बनी हुई है। चहारदीवारी नहीं होने से स्कूल परिसर में मवेशी घूमते रहते हैं, जिससे विद्यार्थी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। डेस्क-बैंच के अभाव होने के कारण बच्चों को ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है।
प्राथमिक विद्यालय की स्थापना 1966 में हुई थी। वर्ष 2007 में मध्य विद्यालय का दर्जा मिला। यहां छह शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। बाद में दो शिक्षकों का तबादला हो गया। उसके बाद से शिक्षकों की कमी है। वर्तमान में आठवीं कक्षा तक के 366 विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित चार शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से दो शिक्षकों को बीएलओ कार्य में लगाया गया है। ऐसे में दो से तीन कक्षाएं एक साथ लगती हैं।
विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, सचिव और प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा शिक्षक की कमी दूर करने के लिए विभाग को कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। इस स्कूल से उत्तीर्ण बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 10 किलोमीटर दूर करियादपुर जाना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए शिक्षा समिति द्वारा उच्च विद्यालय का दर्जा देने के लिए विभाग को आवेदन दिया गया है, लेकिन वह भी अब तक विचाराधीन है।
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विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था काफी अच्छी है। परंतु यहा विषयवार शिक्षकों का घोर अभाव है। ऐसे में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
रानी कुमारी, कक्षा सात
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शिक्षक के अभाव में उच्च कक्षा के बच्चों को विद्यालय में खुद पढ़ाई करनी पड़ती है। जाच में आने वाले पदाधिकारी से शिक्षक की व्यवस्था के लिए गुहार लगाई जाती है।
सोनाली कुमारी, कक्षा सात
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विद्यालय में शारीरिक शिक्षक का अभाव है। यह कार्य खुद प्रधानाध्यापक संभालते हैं। यहा से 10 किलोमीटर की दूरी पर उच्च विद्यालय होने से परेशानी हो रही है।
रोहित कुमार, कक्षा सात
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विद्यालय की चहारदीवारी न होने से हमलोग असुरक्षित महसूस करते हैं। हर समय स्कूल परिसर में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। स्कूल में एक ही शौचालय होने से शौच क्रिया के लिए इंतजार करना पड़ता है।
सचिन कुमार, कक्षा छह
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विद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षा समिति के माध्यम से विभाग को दर्जन से अधिक बार आवेदन दिया गया है। शिक्षक के अभाव में शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
जीतेन्द्र कुमार मौआर, प्रभारी प्रधानाध्यापक