अब काले, नीले और बैंगनी रंग के गेहूं की भ्ाी होती है खेती, यकीन नहीं आए तो खुद देख लीजिए
गया के गुलरियाचक में काले ही नहीं बल्कि नीले और बैंगनी रंग की गेहूं की खेती हो रही है। इस प्रजाति के गेहूं में औषधीय गुण पाया जाता है। यह हृदय से लेकर संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
जेएनएन, गया। देश भर में लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुए विशेष प्रजाति के काले गेहूं(Black Wheat) की खेती अब गया जिला में भी धाक जमा रही है। काले, नीले (Blue) और बैंगनी (Purple) रंग के ये गेहूं शरीर के लिए तो फायदेमंद हैं ही, इसकी उपज भी काफी अच्छी होती है। जिला में इस विशेष प्रजाति के गेहूं की खेती के जनक किसानों और युवाओं के प्रेरणास्रोत टिकारी के गुलारियाचक निवासी आशीष कुमार दांगी हैं।
आशीष ने अपने गांव गुलरियाचक में लगभग चार बीघा खेत में काले, नीले और बैंगनी रंग की गेंहू की बुआई की है। इस सीजन में 30 किसानों को युवा प्रगतिशील किसान आशीष ने उक्त प्रभेद वाले गेंहू की बीज दी है। आशीष ने बताया कि मध्य नबंवर से मध्य दिसंबर तक इसकी बुआई का समय है। इसकी उपज दर 17 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ है।
औषधीय गुणों से भरपूर है यह रंगीन गेहूं
विशेष प्रजाति के रूप में प्रचलित यह गेहूं कई गुणों से भरा है। पौष्टिकता से भरपूर होने के कारण जीवन को प्रभावित करता है। आशीष ने बताया कि रंगीन गेहूं में एथोसायनिन ज्यादा पाए जाने के कारण यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। काला धान व गेहूं औषधीय है। यह हार्ट के इलाज के लिए औषधि बनाने में कारगर होता है। डायबिटीज और मोटापा जैसे रोगों में यह कारगर दवा की तरह काम करता है। इसमें सामान्य गेंहू से 60 प्रतिशत अधिक आयरन पाया जाता है। इस लिहाज से यह काफी फायदेमंद है।
कैसे रंगीन होता है गेहूं- गेहूं में पाए जाने वाले एंथोसायनिन के कारण स्वत: इसका रंग काला, नीला या बैंगनी हो जाता है। यह दाना बनने के दौरान प्राकृतिक रूप से होता है। काले गेहूं में भी एंथोसायनिन पिगमेंट ही कारण बनता है।
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ गांव आए आशीष
शहर की आधुनिक सुख सुविधा और चकाचौंध वातावरण छोड़कर से गांव आये टिकारी प्रखण्ड के गुलारियाचक ग्राम के रहने वाले आशीष खेती की दुनिया में एक नया प्रयोग और नया मुकाम हासिल करना चाहते है। भोजन की जहरीली हो चुकी थाली में स्वास्थ्यवर्धक, स्वादिष्ट, सुपाच्य खाद्य सामग्री परोसना इंजीनियर दांगी का सपना है। उन्होंने बताया कि कम लागत, सीमित भूमि और कम पानी में जैविक आधारित खेती के माध्यम से गुणकारी और औषधीय फसल उत्पादन करना उनका लक्ष्य है। क्षेत्र में किसानों के बीच क्रांति पैदा कर उन्हें खुशहाल और आत्मनिर्भर बनाना है।