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कार्यालय ही नहीं, ससुराल भी साइकिल से ही जाते हैं उपेंद्र नारायण

विश्व साइकिल दिवस पर विशेष फोटो 205 ---------- -कोरोना के दौर में भी मुफीद है सुबह-शाम साइकिल चलाना -हर दूसरे वाहनों से ज्यादा किफायती वर्षो तक देता है साथ -------------

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 10:43 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 10:43 PM (IST)
कार्यालय ही नहीं, ससुराल भी साइकिल से ही जाते हैं उपेंद्र नारायण
कार्यालय ही नहीं, ससुराल भी साइकिल से ही जाते हैं उपेंद्र नारायण

विनय कुमार पांडेय, गया

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जिला पंचायती राज कार्यालय में परिचारी के पद पर काम कर रहे 58 वर्षीय उपेंद्र नारायण सिंह आज भी साइकिल से ही दफ्तर आते हैं। वह बताते हैं, वह 10 साल की उम्र से ही अपने पिताजी की साइकिल की सवारी कर रहे हैं। यह साइकिल आज भी सही सलामत है। इसके साथ ही एक दूसरी साइकिल जो वर्षो पहले तत्कालीन डीपीआरओ साहब ने दी थी वह भी इस्तेमाल करते हैं। कार्यालय आना हो या अपने ससुराल जाना हर जगह वह अपनी साइकिल से ही आना-जाना करते हैं। वह साइकिल को आरामदायक व किफायती मानते हैं।

वह कहते हैं, कार्यालय के कर्मी भी उनकी साइक्लिंग च्वाइस की तारीफ करते हैं। साइकिल चलाने में आज भी उन्हें कोई तकलीफ महसूस नहीं होती। वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।

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दूसरों वाहनों की तुलना में सेहत

के लिए मुफीद और किफायती भी

साइकिल आज भी सर्व सुलभ और सर्वप्रिय सवारी है। दूसरों वाहनों की तुलना में सेहत के लिए मुफीद और किफायती भी। जयप्रकाश नारायण अस्पताल के फिजियोथेरेपी चिकित्सक डॉ. मो. इमरान अपने यहां आए ज्यादातर लोगों को साइकिल चलाने की सलाह देते हैं। साइक्लिंग एक अच्छा व्यायाम है। नियमित साइकिल चलाने से जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द दूर रहता है। इससे जोड़ वाले हिस्से टेहुना, जांघ, बांह आदि में लचीलापन रहता है। शरीर के ज्यादातर हिस्सों में लचीलापन रहने से तंदुरुस्ती बरकरार रहती है। वह फेफड़ा, मसल्स पावर, रक्तचाप, मधुमेह के मरीजों के लिए साइकिल चलाना फायदेमंद बताते हैं। डॉ. इमरान कोरोना के दौर में हर उम्र के लोगों को सुबह-शाम साइकिल चलाने की सलाह देते हैं। इससे श्वसन तंत्र बेहतर रहता है।

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स्कूटी के दौर भी

बढ़ती जा रही मांग

बाजार में कई तरह की स्कूटी या मोटरसाइकिल क्यों न आ जाए, साइकिल का बाजार हर दौर में रौनक बरकरार रखने में सफल साबित हुआ है। शहर के जीबी रोड में 1951 से पंजाब साइकिल स्टोर इस बात की ताकीद करता है। तीन पीढि़यां अब तक इस कारोबार से जुड़ी रही है। दुकान के मालिक गुरतेज सिंह ने कहा कि सालों साल साइकिल की मांग बढ़ती ही जा रही है। औसतन हर माह 200 बच्चों वाली साइकिल बिकती है तो वहीं 250 बड़े बच्चों व युवाओं के लिए साइकिल बिकती है। लड़कियों को रेंजर साइकिल ज्यादा पसंद आता है। अब अलग डिजाइन की साइकिल बाजार में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों को लुभाते हैं। गया शहर में 12 से 15 साइकिल की बड़ी दुकानें हैं।


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