चुनाव में कोई जीते या हारे, शांति तो बनी रही
गांधी चौक समीप शुक्रवार की सुबह चाय की दुकान पर हर वर्ग के लोग चाय की चुस्की के साथ गुरुवार को संपन्न हुए चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। सभी की जुबां पर चुनावी समर में रहे प्रत्याशियों की हार जीत के साथ शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न होने की बात थी।
गया । गांधी चौक समीप शुक्रवार की सुबह चाय की दुकान पर हर वर्ग के लोग चाय की चुस्की के साथ गुरुवार को संपन्न हुए चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। सभी की जुबां पर चुनावी समर में रहे प्रत्याशियों की हार जीत के साथ शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न होने की बात थी। चर्चा के दौरान पास में बैठे एक बुजुर्ग कहते हैं- चलिये, चुनाव में कोई जीते या हारे, क्षेत्र में शांति तो बनी रही। कहीं से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। यह सबसे बड़ी बात है। ऐसे माहौल में तो वर्षो बाद चुनाव संपन्न हुआ है। बात मोदी से लेकर गया संसदीय सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनावी समर में रहे महागठबंधन और एनडीए सहित निर्दलीय प्रत्याशियों तक होती है। हार-जीत के आंकड़े और जातीय समीकरण को जोड़ते हुए अपने-अपने चहेते प्रत्याशियों की जीत के दावे किए जाते हैं। एक ऑटो चालक आकर दुकानदार से चाय मांगता है और चुनावी चर्चा सुनकर वो बोल उठता है। सुनिये चाचा, जीतने के बाद कोई आपसे मिलने भी आएगा या आपको कुछ देगा क्या? रोज कमाना, रोज खाना से छुटकारा थोड़े ही मिलने वाला। बात प्रखंड के गौरा गांव के मतदाताओं द्वारा वोट न दिए जाने पर हुई। कुछ ने सही तो कुछ ने गलत बताते हुए कहा कि यह चुनाव तो देश के लिए है। क्षेत्रीय समस्या को लेकर विधानसभा और पंचायत चुनाव में सामूहिक रूप से वोट न देना उचित होता।
थाई मंदिर के समीप के नास्ते की दुकान पर आज कुछ ज्यादा भीड़ नहीं थी। दो दिन पहले यहां सुबह से ही भीड़ लग जाती थी। क्योंकि नास्ते की दुकान के पास ही एक पार्टी का चुनावी कार्यालय था। सो पार्टी समर्थक कार्यकर्ताओं का आना सुबह से शुरू हो जाता था और चाय से लेकर नास्ता तक करने के बाद प्रचार में निकलते थे। पूछे जाने पर दुकानदार कहता है चुनावी मेला खत्म हो गया है न सर। अब तो जो रोज नास्ता करने आते थे, वही लोग आएंगे।