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नवरात्र विशेष: नवरात्र में दस महाविद्याओं का पूजन विशेष फलदायी, जानिए 10 महाविद्या किस प्रकार करती हैं हमारी रक्षा

भगवती दुर्गा के अनंत नामों में से एक नाम महाविद्या भी है और पता है एक ही शक्ति विविध रूपों में अवतरित होकर अनेक प्रकार की लीलाएं करती रहती हैं। महाविद्या तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में पुराणों तथा तंत्र में विशेष रूप से देखने को मिलता है।

By JagranEdited By: Prashant Kumar pandeyPublished: Mon, 26 Sep 2022 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 12:05 PM (IST)
नवरात्र विशेष: नवरात्र में दस महाविद्याओं का पूजन विशेष फलदायी, जानिए 10 महाविद्या किस प्रकार करती हैं हमारी रक्षा
नवरात्र में दस महाविद्याओं का पूजन विशेष फलदायी

 भगवती दुर्गा के अनंत नामों में से एक नाम महाविद्या भी है और पता है एक ही शक्ति विविध रूपों में अवतरित होकर अनेक प्रकार की लीलाएं करती रहती हैं। महाविद्या तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में पुराणों तथा तंत्र में विशेष रूप से देखने को मिलता है। नवरात्र में तंत्र पद्धति से इनकी साधना से साधक के समस्त मनोकामनाएं एवं अभिलाषा पूरी होती हैं तथा विशेष रूप से फलदायी होता है। 

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इन 10 महाविद्याओं का संक्षिप्त विवरण 

काली : काली हिंदू धर्म के प्रमुख देवी हैं। प्रथम महाविद्या में भगवती काली को साक्षात ब्रह्म शिव की पराशक्ति माना गया है। महाकाली की साधना के माध्यम से व्यक्ति शत्रुओं को निस्तेज एवं परास्त करने में सक्षम हो जाता है, चाहे वह शत्रु आंतरिक हो या बाहरी। इस साधना के द्वारा साधक उन पर विजय प्राप्त कर लेता है। मां काली शत्रुओं का संहार कर अपने भक्तों को रक्षा कवच प्रदान करती हैं।

त्रिपुरसुंदरी (षोडशी) : शत्रु संहार एवं तीव्र तंत्र बाधा निवारण के लिए त्रिपुरसुंदरी की आराधना महत्वपूर्ण मानी गयी है। इसके साधक के सौंदर्य में निखार आता है। साथ ही गृहस्थ सुख, अनुकूल विवाह, मनोवांछित कार्य सिद्धि एवं घर परिवार में सुख-शांति बनाए रखती हैं।

भुवनेश्वरी : पृथ्वी पर जितने जीव हैं, सबको भगवती भुवनेश्वरी से ही भरण-पोषण एवं अन्न प्राप्त होता है। भगवती भुवनेश्वरी की साधना मुख्यत: वशीकरण, सम्मोहन, वाक् सिद्धि, सौभाग्य, लाभ, बल सामर्थ्य, लक्ष्मी संपदा वैभव शत्रुओं पर विजय के लिए की जाती है।

त्रिपुरभैरवी : इंद्रियों पर विजय और सर्वत्र उन्नति के लिए त्रिपुर भैरवी की उपासना का विधान है। त्रिपुरभैरवी छठी महाविद्या हैं। इनकी उपासना से पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही यह बल और आयु को प्रदान करती हैं।

छिन्नमस्ता : इनकी उपासना से शत्रुओं को परास्त करने की क्षमता प्राप्त होती है। साथ ही भौतिक सुखों की प्राप्ति एवं विवाद आदि में सफलता मिलती है। माता त्रिपुर भैरवी के साधना से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है तथा शारीरिक दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।

धूमावती : सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवी की पूजा की जाती है। परंतु दरिद्रता दूर करने, कर्ज मुक्ति, किसी से कर्ज वसूलने, शत्रुओं से रक्षा अथवा किसी के द्वारा मकान आदि हड़प लिए जाने पर देवी की साधना से कष्टों का निदान शीघ्र हो जाता है।

बगलामुखी : कलयुग में शत्रु विनाश, मारण,मोहन, उच्चाटन, वशीकरण के लिए बगलामुखी से बढ़कर कोई साधना नहीं है। मुकदमे में इच्छा अनुसार विजय प्राप्त कराने में यह रामबाण है। साथ ही युद्ध, वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजय देने में सामर्थ्यवान तथा शत्रुओं एवं अधिकारियों की बुद्धि स्तंभित कर अपने अनुकूल फल देने में प्रभावी मानी गयी हैं।

मातंगी : मातंगी देवी की साधना शुभ कार्यों की सिद्धि हेतु की जाती है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है।

कमला : भगवती कमला की साधना से जीवन सुखमय होता है और दरिद्रता दूर होती है। वैभव, शक्ति, धन-धान्य, यश, कीर्ति एवं लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।जैसा कि आल इंडिया फेडरेशन आफ एस्ट्रालिजिक्ल सोसाइटी के उपाध्यक्ष डा. प्रमोद कुमार सिन्हा ने दी। 


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