नामवर सिंह का गया से रहा गहरा नाता
गया । आलोचक डॉ. नामवर सिंह के निधन से गया का हिंदी साहित्य जगत मर्माहत है। जाने-माने शो
गया । आलोचक डॉ. नामवर सिंह के निधन से गया का हिंदी साहित्य जगत मर्माहत है। जाने-माने शोधकर्ता व साहित्यकार डॉ. रामनिरंजन परिमलेंदु ने कहा कि डॉ. नामवर आलोचना के शिखर पुरुष माने जाते थे। हम तो उन्हें 'वामपंथ के दलाईलामा' कहते हैं। वे कई बार गया आए। अंतिम बार आए थे तो रेनेसांस में एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी। डॉ. परिमलेंदु कहते हैं कि मेरी कोई पुस्तक ऐसी नहीं थी, जिसको उन्होंने नहीं पढ़ा हो। मेरा उनसे बहुत पुराना संबंध रहा, उनके निधन से काफी दुख पहुंचा है।
साहित्यकार डॉ. सच्चिदानंद प्रेमी ने कहा कि डॉ. नामवर सिंह ने हिंदी आलोचना को एक ऊंचाई दी। दिल्ली के एक होटल में उनसे मुलाकात हुई थी। परिचय के बाद उन्होंने सपाट सी टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार के साथ अन्याय हुआ है, जहां मोहन लाल महतो वियोगी का सही मूल्यांकन नहीं हुआ।
इधर, साहित्य महापरिषद के बैनर तले बुधवार को अशोक विहार कॉलोनी में श्रद्धाजलि सभा का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता करते हुए डॉ. रामसिंहासन सिंह ने कहा कि ¨हदी आलोचना के एक युग का अंत हो गया। वे ¨हदी साहित्य खासकर आलोचना के आकाश में ऐसे जगमगाते नक्षत्र थे, जिसके इर्द-गिर्द चार दशकों तक पूरी ¨हदी समालोचना घूमती रही। राजीव रंजन ने कहा कि ¨हदी साहित्य में प्रगतिशील विचार को जिस दृढ़ता एवं मजबूती से स्थापित किया, वह बेजोड़ था। वे साहित्य के ऐसे जौहरी थे, जिन्होंने ¨हदी साहित्य के कितने हीरों की न सिर्फ पहचान की, बल्कि उसे तराशा भी। मौके पर कुमारकांत, कन्हैयालाल मेहरवार, गजेन्द्र लाल अधीर, सुल्तान अहमद, नौशाद सदफ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।