अजमेर सियालदह सुपर फास्ट ट्रेन में बंदर ने लिया मुफ्त यात्रा का मजा, टीटीई ने यात्री को कहा- दूसरे कोच में बैठिए
बंदर ट्रेन में सासाराम तक लगभग डेढ़ घंटे तक बेरोकटोक एक ही बर्थ पर यात्रा करता रहा। उसे रिजर्वेशन कोच में देख लोग हैरान रह गए। बंदर कभी ट्रेन के अंदर चहल कदमी करता तो कभी खिड़की का शीशा उठाने का प्रयास करता दिखा। उसने किसी को परेशान नहीं किया
सासाराम : रोहतास, जागरण संवाददाता। स्थानीय रेलवे स्टेशन पर बुधवार को ट्रेन पकड़ने आए यात्रियों को एक अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ा। सुबह छह बजे अजमेर सियालदह सुपर फास्ट एक्सप्रेस को पकड़ने आए यात्री उस समय हैरान रह गए, जब ट्रेन के कोच संख्या एस- 5 में सीट नंबर 44 लोअर बर्थ पर आराम से बैठा एक बंदर सफर करता दिखा। वह बर्थ सासाराम से सियालदह के लिए एयरपोर्ट अथारिटी कोलकाता के अधिकारी अतीश कुमार की थी। ट्रेन में चढ़ते ही टीटीई ने उन्हें कहा कि आपकी सीट पर एक बंदर सफर कर रहा है। गया में उक्त बंदर का रेस्क्यू कर उतारा जाएगा, तब तक आप दूसरे कोच में बैठ जाएं। हालांकि गनीमत यह रही की बंदर सासाराम में ही स्वयं ट्रेन से उतर कर चलता बना।
बंदर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर ट्रेन में चढ़ा
यात्रियों ने बताया कि यह बंदर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर ही ट्रेन चलने के समय इस कोच में घुस गया था और सासाराम तक लगभग डेढ़ घंटे तक बेरोकटोक उसी बर्थ पर यात्रा करता रहा। बंदर को रिजर्वेशन कोच में यात्रा करते देख लोग हैरान रह गए। बंदर कभी ट्रेन के अंदर चहल कदमी करते तो कभी सीट पर बैठ खिड़की का शीशा उठाने का प्रयास करता दिख रहा था। शुरू में तो आसपास के बर्थ के कुछ घबराए यात्री, खासकर भयभीत महिलाएं अपनी सीट छोड़कर भाग खड़ी हुई, लेकिन थोड़ी देर बाद यात्री हिम्मत करके अपनी-अपनी सीट पर वापस सहमे हुए चुपचाप बैठ गए। बच्चे भी काफी डरे सहमे रहे।
बंदर ने किसी को परेशान नहीं किया
हालांकि इस दौरान बंदर ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। ट्रेन में मौजूद टीटीई ने भी लोगों से उक्त बंदर के साथ किसी तरह छेड़छाड़ नहीं करने या कोई खाने का सामान नहीं निकलने की हिदायत दी। यात्रियों की माने तो उनकी सुरक्षा रेलवे में भगवान भरोसे ही है। अभी तक मंदिर, आश्रम व अन्य स्थलों में चहलकदमी मचाने वाले बंदर अब निडर होकर रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में भी सफर करते नजर आने लगे हैं। इस संबंध में रेलवे के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।