ेकराह रही है मोक्षदायिनी फल्गु, लोगों ने बना दिया कूड़ेदान
पेज - फोटो - ़14 एवं 15 -देवघाट से रामशिला घाट तक दशा बद से बदतर गायत्री घाट पर तो नदी में पूरा मनसरवा नाले को ही गिरा दिया पहले फेंकते हैं कचरा फिर अतिक्रमण कर खड़ी कर देते हैं इमारत ----------- जागरण संवाददाता गया
गया । अतिक्रमण और कचरे के बोझ से फल्गु नदी कराह रही है। शहर के कई गंदे नाले नदी में गिर रहे हैं। देवघाट से रामशिला घाट तक नदी की दशा बद से बदतर हो गई है।
देवघाट से उत्तर दिशा में पर्यटन विभाग द्वारा बनाए घाट के नीचे नदी में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। पूछने पर बताया, पहले कूड़ा डाला गया और अब वह बालू पूरी तरह ढक गया है। इसलिए यहां क्रिकेट खेल लेते हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर संघत घाट पर पहाड़ जैसा कूड़े का ढेर है।
नदी के किनारे बैठे विश्वनाथ रजक बताते हैं, पहले कूड़ा फेंक कर नदी को भरते हैं। कुछ दिनों के बाद अतिक्रमण कर मकान बना लेते हैं। देखने वाला कोई नहीं है। आगे बढ़ने पर विष्णु घाट के पास नदी से अवैध रूप से बालू का उठाव किया जा रहा था। गायत्री घाट पर तो नदी में पूरा मनसरवा नाले को ही गिरा दिया गया है। नदी में नाले गिराए जाने के कारण गाद से टीला बनता जा रहा है।
गायत्री मंदिर के पास लगी बोरिग के पानी से कुछ लोग स्नान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नदी में मनसरवा नाला गिराने का परिणाम यह हुआ है कि बोरिग से बदबूदार पानी निकल रहा है। पहले बिल्कुल शुद्ध जल निकलता था। नाले के गाद से नदी में जो टीला बन रहा है, एक दिन इसी पर लोग घर भी बना लेंगे। इसी तरह से फल्गु कर अतिक्रमण किया जा रहा है। ब्राह्माणी घाट के पास पुराने मकानों के मलबे का पहाड़ है। नदी में तेजी से मलबा डाला जा रहा है। इससे थोड़ी दूर पर नादरागंज नाले को भी पूरी तरह से नदी में गिरा दिया गया है, जिसके कारण बदबू है।
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नदी में ही खटाल
संतोष केशरी कहते हैं कि नदी में नाला बहने के कारण चापाकल से पीला पानी निकल रहा है। महादेव व सीढि़यां घाट पर लोगों ने नदी में ही खटाल बना दिए हैं। नदी में ही पशु बंधे रहते हैं। थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर इसी नदी पर राज्य का पहला सिक्स लेन पुल है, जो गया और मानपुर को जोड़ता है। पुल के पास नदी में राख के ढेर हैं, जिस पर कई मकान बने हुए हैं। कई मकान बनाने की तैयारी चल रही है। फल्गु का सबसे अधिक अतिक्रमण सिक्स लेन पुल से रामशिला घाट तक किया गया है।
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यहां खो गई पहचान
विंदेश्वरी घाट के आगे बढ़ने पर मोरियाघाट और बांके गली के पास नदी ने अपनी पहचान खो दी है। क्योंकि बांके गली के पास तकरीबन आधी नदी में कई मकान बन गए हैं। आश्चर्य तो यह कि इन मकानों को बिजली आदि की सुविधा भी मिल गई है। बांके गली से आगे बढ़ने पर वारिसनगर में तो नदी में ही सैकड़ों मकान बने हुए हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर नदी के उपर से रेलवे लाइन गुजरती है। रेलवे पुल के नीचे भी कई मकान बने हैं।
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एक दशक में क्या
से क्या हो गया
यही स्थिति रामशिला घाट की है। देवघाट से रामशिला तक सभी जगहों पर फल्गु अतिक्रमण के कारण कराह रही है। उधर, फल्गु के पूर्वी छोर में मानपुर स्थित सीताकुंड के पास रहने वाले अखिलेश चौधरी ने कहा कि नदी का ही पानी तो पीते हैं। एक दशक पहले फल्गु की स्थिति कुछ और थी। अब कुछ और हो गई।
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नदी में ही बस गई आबादी
लखीबाग मोहल्ले के पास तो नदी में जैसे मोहल्ले की आधी आबादी बस गई है। यही स्थित जनकपुर और मल्लाह टोली मोहल्ले की भी है। कुछ वर्ष पूर्व जिला प्रशासन ने लगभग आठ सौ मकानों का चिह्नित किया था। अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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फल्गु को बचाने को सभी
को आना होगा आगे
फल्गु को अतिक्रमण एवं प्रदूषित होने से बचाने के लिए वार्ड पार्षदों ने पहल की है। वार्ड पांच के पार्षद आशा देवी का कहना है कि फल्गु को बचाने के लिए ऐसे नगर निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव तो नहीं रखी हूं। फिर भी लोगों को जागरूक कर रही हूं। वार्ड छह के पार्षद रूपा देवी कहती हैं, बारिश नगर मोहल्ला नदी पर बसा है। जहां पूर्व में काफी संख्या में नदी में मकान का निर्माण किया गया है। पार्षद बनने के बाद नदी में एक भी मकान का निर्माण नहीं हुआ है। वार्ड सात के पार्षद चुन्नू खां ने कहा कि नदी में रेल पुल के पास कुछ लोगों द्वारा मकान का निर्माण किया जा रहा था, जिसकी सूचना रेलवे विभाग दी गई थी। सूचना देने के बाद मकान के निर्माण पर रोक लगी है। हम सभी का कर्तव्य बनता है कि नदी को बचाने के लिए आगे आएं। वहीं, वार्ड 39 के पार्षद संजय कुमार का कहना है कि हमारे वार्ड में नदी में दो बड़े नादरागंज और मनसरवा नाले गिर रहे हैं। नाले का रोक लगाने के लिए कई बार बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन प्रस्ताव पहल आज तक नहीं हुआ। वार्ड 46 के पार्षद प्रीति सिंह का कहना है कि हमारे वार्ड नदी में एक भी नाले नहीं गिरता है। लेकिन फिर भी नदी को बचाने की जरूरत है। शहर के नाले जो नदी में गिर रहा है। उसे रोकने की जरूरत है। सीवरेज सिस्टम का निर्माण बहुत जरूरी है। जिससे नदी में नाले का गंदा पानी नहीं गिरे।
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फल्गु नदी में गिर रहे नाले को रोकने लिए 4.40 करोड़ की राशि से सीवरेज का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद सीवरेज का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। सभी नाले को एक साथ जोड़कर सीवरेज के माध्यम के कड़ी गांव के पास लाया जाएगा। जहां गंदे पानी को फिल्ट्रेट कर सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाएगा। शेष पानी को नदी में बहा दिया जाएगा।
सावन कुमार, नगर आयुक्त