मनरेगा योजना से जल संचय व संरक्षण में गया अव्वल
फोटो 204 -जिले में सर्वाधिक 84 हजार 113 जॉबकार्ड धारी मजदूरों को मिला मनरेगा से काम -बीते दो माह में कैंप लगा 10 हजार प्रवासी मजदूरों को दिया गया जॉबकार्ड जागरण संवाददाता गया
गया । जिले में मनरेगा योजना से जल संचय व जल संरक्षण की अनेक योजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं। जल जीवन हरियाली में सैकड़ों काम मनरेगा से हो रहे हैं। बड़ी संख्या में मनरेगा मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया गया है। डीआरडीए से मिली जानकारी के मुताबिक जल संरक्षण के मामले में गय़ा पूरे बिहार में अव्वल स्थान पर है। जिला अंतर्गत कुल प्रवासी सहित अन्य लोगों को 84 हजार 113 जॉबकार्ड धारी को कार्य दिया जा रहा है। जो पूरे सूबे में सर्वाधिक है। कोरोना काल में लॉकडाउन थ्री के समय से ही मजदूरों को शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दिलाए गए। जिन प्रवासी मजदूरों के पास जॉब कार्ड नहीं थे उनका जॉब कार्ड बनवाया गया।
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कोरोना से बचने को शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए दिला रहे काम
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के निर्देशन में यह उपलब्धि हासिल हुई है। उप विकास आयुक्त किशोरी चौधरी के मार्गदर्शन में मजदूरों को साइट पर शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए काम कराया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में बीते दो माह में करीब 10 हजार प्रवासी मजदूरों को जॉब कार्ड बनाकर दिया गया। इसके लिए सभी मनरेगा पीओ को निर्देश दिए गए थे। गया जिले को मिली इस उपलब्धि के लिए जिलाधिकारी ने पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों व आम लोगों से मिले सहयोग की भी सराहना की। जल संचय व संरक्षण की योजनाओं में निरंतरता बनाए रखने की भी अपील लोगों से की। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि मनरेगा में गया जिला बहुत अच्छा काम कर रहा है।
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बीते आठ साल की तुलना में 12 से 14 फीट तक उपर आया वाटर लेवल
बीते आठ साल में गया जिले का वाटर लेवल 40-42 फीट रह रहा था। लेकिन इस बार गर्मी के सीजन में भी औसतन वाटर लेवल 26 फीट तक रहा। कई प्रखंडों में 22-24 फीट तक यह लेवल रहा। जिलाधिकारी ने कहा कि जल संचय व संरक्षण की योजनाओं से यह सब हो सका है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब जल पुरुष राजेंद्र सिंह गया पहुंचे थे तभी से लोगों में वाटर लेवल को सुधारने को लेकर उत्सुकता थी। शहर समेत गांव-स्तर पर इसके लिए काम किया गया। लोगों का भरपूर सहयोग मिला। गयावासी खूद से भी पानी का लेयर उपर उठाने को लेकर चिंतित थे।
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-जल संचय व संरक्षण की योजनाएं सबसे ज्यादा गया में 1982 चल रही
-तालाब एवं खेतपोखर-601
-जल संचय व संरक्षण- 1178
-पौराणिक जल स्त्रोत-181
-भूमि विकास-22