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जागेश्वर प्रसाद खलिश की 122 वीं जयंती समारोह

'खलिश' यानि 'चुभन'। गया की धरती के लाल जागेश्वर प्रसाद खलिश की जयंती मनाए जाने की चुभन से है।

By Edited By: Published: Tue, 08 Nov 2016 09:19 PM (IST)Updated: Tue, 08 Nov 2016 09:19 PM (IST)
जागेश्वर प्रसाद खलिश की 122 वीं जयंती समारोह

गया। 'खलिश' यानि 'चुभन'। गया की धरती के लाल जागेश्वर प्रसाद खलिश की जयंती मनाए जाने की चुभन मंगलवार को समाप्त हो गई। जब उनके ही नामित स्थान 'खलिश पार्क' में जिलाधिकारी कुमार रवि, सेवानिवृत्त आईपीएस सह शायर मासूम काजमी, वयोवृद्ध साहित्यकार गोव‌र्द्धन प्रसाद सदय और उनके छोटे पुत्र डा. राजकुमार प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर जयंती समारोह का उद्घाटन किया। चुभन इस बात की थी कि इससे पहले कभी भी खलिश जी के लिए गयावासियों ने समारोह पूर्वक उन्हें याद नहीं किया था। यह पहला मौका था। इस बात को शायर मासूम काजमी ने अपने भावाजंलि में कह ही डाला। उन्होंने कहा कि शायर समाज का होता है। वर्तमान समय में लोग भुलाने वाले ज्यादा हैं, याद करने वाले कम। वैसे वक्त में खलिश जी को याद किया जा रहा है। यह एक बड़ी बात है। उन्होंने बिहार उर्दू अकादमी से अपील की कि जागेश्वर प्रसाद खलिश के लिए भी मोनोग्राफ बनाया जाए।

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जिलाधिकारी कुमार रवि ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। वैसे संरचनाओं को आज सहेजने की जरूरत है। जिससे आने वाली पीढ़ी ज्ञान का अर्जन कर सके। अधिवक्ता शिववचन सिंह ने 1952 को याद करते हुए कहा कि बाराचट्टी में उनके चुनाव जीतने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा निकाले गए विजय जुलूस में वे भी शामिल थे। उन्होंने कई स्मरण सुनाए। पूर्व प्राचार्य डा. राम सिंहासन सिंह ने भी कुछ स्मृति लोगों के बीच रखी। वार्ड पार्षद लालजी प्रसाद ने कहा कि कि खलिश पार्क के जीर्णोद्धार के लिए जो राशि उपलब्ध कराई गई है। उसका काम पूरा हो। इसके लिए वे प्रयास करेंगे। पूर्व प्रचार्या नलीनी राठौर ने भी इस मौके पर गया के साहित्य समाज के प्रति अपने आभार प्रकट की। खेल प्रेमी विजय कुमार सिन्हा ने खलिश पार्क में प्रतिमा लगाने की मांग रखी। इसके पूर्व मिर्जा गालिब कालेज के उप प्राचार्य प्रो. अरूण कुमार प्रसाद ने जागेश्वर प्रसाद खलिश के बहुयामी प्रतिमा पर अपने विचार रखे। और उनके जीवनवृत सुनाया। खलिश जी के छोटे पुत्र डा. राजकुमार प्रसाद ने समारोह में उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद दिया और कहा कि आप लोग का सहयोग अगर मिलता रहा तो आने वाले 27 अप्रैल 2017 को उनकी पुण्यतिथि पर एक बड़ा कार्यक्रम इसी खलिश पार्क में आयोजित किया जाएगा।

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कौन थे खलिश

8 नवम्बर 1894 को खिजरसराय के नादरा में जन्मे जागेश्वर प्रसाद खलिश स्वतंत्रता सेनानी, विधायक, विधान परिषद सदस्य और इससे पहले शेरो-शायरी के जानकार थे। उनकी शायरी पर ख्वाजा इशरत लखनवी ने खलिश की उपाधि से नवाजा था। उन्होंने उर्दू पत्रिका 'वज्में सुखन' एवं ताज का प्रकाशन 1912 से 1923 तक किया।

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भूल गए कांग्रेसी

जागेश्वर प्रसाद खलिश 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी से मिले। उस वक्त कांग्रेस में शामिल हो गए थे और जीवन पर्यत कांग्रेस में ही रहे। 1931 से 1954 तक गया नगर कांग्रेस कमेटी के मंत्री तथा अध्यक्ष रहे। 31 मार्च 1930 को राय हरि प्रसाद के हाते में आयोजित बैठक में उन्होंने क्रांतिकारी भाषण दिया। जिसके कारण अंग्रेज हुकूमत ने उन्होंने गया रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। 7 जनवरी 1932 को अंग्रेजी शासन काल में कांग्रेस को अवैध करार दिए जाने के कारण खलिश की सपत्‍ि‌नक गिरफ्तारी हुई। फिर गांधी जी के आदेश पर 1934 में बिहार में भूकंप के बाद खलिश जी ने सारी लड़ाई छोड़कर भूकंप पीड़ितों की सेवा में लग गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गया का नेतृत्व किया और जेल गए। आजादी के बाद 1952 के विधानसभा चुनाव में वे बाराचट्टी से कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। उस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट से जीतने वाले खलिश जी थे। 1960 से 1972 तक विधान परिषद के सदस्य रहे। 27 अप्रैल 1980 को खलिश जी सबों को छोड़कर चले गए। कांग्रेस के इस जन को आज कांग्रेसी उनके समारोह में नजर नहीं आए।


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