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तपती दुपहरी में ट्रेनों में भरकर पहुंचाए जा रहे प्रवासी, रहते हैं भूखे-प्यासे

फोटो-20 से 22 -यात्रियों ने कहा ट्रेनों में नहीं रखा जाता शारीरिक दूरी का ख्याल नहीं कराता कोई अनुपालन -ज्यादातर ट्रेनें पहुंच रही हैं छह से दस घंटे तक लेट प्रवासियों को रास्ते में नहीं मिलता पानी -स्टेशन प्रबंधक ने कहा रूट डायवर्जन से बढ़ी समस्या गया से गुजरीं कई ट्रेनें रुकीं केवल दो -------------

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:57 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 03:57 PM (IST)
तपती दुपहरी में ट्रेनों में भरकर पहुंचाए जा रहे प्रवासी, रहते हैं भूखे-प्यासे
तपती दुपहरी में ट्रेनों में भरकर पहुंचाए जा रहे प्रवासी, रहते हैं भूखे-प्यासे

सुभाष कुमार, गया

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कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन के बीच बिहार के विभिन्न जिलों के श्रमिक व उनके स्वजनों को लगातार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये पहुंचाया जा रहा है। किसी को मुफ्त में टिकट मिला तो किसी ने दलाल के जरिये खरीदकर सफर पूरा किया। गया आ रहीं ट्रेनें छह से दस घंटे तक लेट हो रही हैं, लेकिन सफर के दौरान रेलवे प्रवासी श्रमिकों को ख्याल नहीं रख रहा। यात्रियों की मानें तो ट्रेनों में भोजन व पानी मुहैया कराने का रेलवे का दावा झूठा साबित हो रहा है। यहीं नहीं ट्रेनों में शारीरिक दूरी का भी कोई मायने नहीं है।

सूरत से आई दरभंगा श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार रहे रंजीत कुमार ने बताया, वहां से ट्रेन खुलने के बाद कई स्टेशनों पर रुकी थी। इस दौरान पानी की एक बोतल व ब्रेड-नमकीन मिली। मंगलवार को ट्रेन पीडीडीयू जंक्शन पर पहुंची तो अल्पाहार दिया गया। फिर भूख लगी तो उसने साथ लाया भूंजा खाया। जब गया जंक्शन पर ट्रेन रुकी तो प्लेटफॉर्म पर सभी यात्रियों को प्याऊ से गर्म पानी भरना पड़ा। इस दौरान रेल प्रशासन टोकने भी नहीं पहुंचा और न ही पानी की बोतल दी गई। ट्रेन से उतरे जितेंद्र कुमार ने बताया कि वह सूरत में डायमंड कंपनी में करते थे। लॉकडाउन हुआ तो कंपनी बंद हो गई। फिर हम लोग यही सोच रहे थे कि कितनी जल्दी घर पहुंचें। उसने बताया कि आवेदन के बाद भी टिकट नहीं आया तो दलाल से एक-एक हजार रुपये देकर टिकट लिया, तब आ सके। एक अन्य यात्री अरुण कुमार का कहना था कि ट्रेन में बैठने के बाद से हम लोग यही सोच रहे थे कि कितनी जल्दी घर पहुंचें। अन्यथा, कोरोना से तो बाद में मरेंगे, भूख-प्यास से ही ट्रेन में दम टूट जाएगा।

वहीं, सूरत से छपरा जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार होकर आए अरवल जिले के प्रवासी दंपती गया जंक्शन पर ट्रेन के रुकते ही उतरे। जब पटना होकर एक श्रमिक ट्रेन जाने की सूचना मिली तो वे लोग भी उसी में सवार हो गए। मुकेश गिरि व सुमित्रा देवी ने बताया, कोरोना महामारी के कारण लोग ट्रेनों में जैसे-तैसे सवार होकर आ रहे हैं। न तो कोई शारीरिक दूरी का अनुपालन कर रहा और न ही कराया जाता है। रेल प्रशासन का भी ध्यान अब इस ओर नहीं है। बता दें कि गया जंक्शन पर पहली ट्रेन चार मई को कोटा से छात्रों को लेकर आई थी। तबसे अब तक कई ट्रेनें आ चुकी हैं। रूट कंजक्शन के कारण गया से गुजर रहीं कई ट्रेनें, हो रहीं लेट :

गया के स्टेशन प्रबंधक केके त्रिपाठी ने कहा, रूट परिवर्तित कर प्रतिदिन कई ट्रेनें गया जंक्शन से गुजारी जा रही हैं। मंगलवार को मात्र जालंधर से गया और दिलवाड़ा से गया के लिए ही दो ट्रेनें रुकीं। इन ट्रेनों से करीब दो हजार प्रवासी मजदूर गया पहुंचे, जिन्हें जिला प्रशासन ने बसों से उनके गंतव्य स्थान तक भेजा। उन्होंने बताया, रेलवे की ओर से इन दिनों हर रोज सैकड़ों ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस कारण मेन लाइन जाम होने पर रूट परिवर्तित कर ग्रैंड कॉर्ड लाइन से दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से ट्रेनें चल रही हैं। एक मई को जब ट्रेनें चली थीं तो लगभग सभी समय पर पहुंचती थीं। जैसे-जैसे ट्रेन बढ़ रहीं, वैसे-वैसे रूट कंजक्शन की समस्या आ रही है। ट्रेनें लेट हो रही हैं, लेकिन रेलवे की ओर से प्रवासियों का ख्याल रखा जा रहा है।


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