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बिहार के इस 'गांधीजी' का वृक्षों के प्रति है अद्भुत समर्पण, जहां एक भी पौधा नहीं था, वहां हजारों वृक्ष लहलहा रहे

कैमूर जिला के मोहनियां प्रखंड के कठेज गांव निवासी फेकन शर्मा उर्फ गांधी जी पर्यावरण दूत बन गए हैं। उन्‍हें प्‍लांटेशन मैन के नाम से जाता है। अब तक हजारों पौधे लगा चुके गांधी जी वृक्ष को देवता और बाग को मंदिर मान अपना जीवन समर्पित कर दिया है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 01:26 PM (IST)
बिहार के इस 'गांधीजी' का वृक्षों के प्रति है अद्भुत समर्पण, जहां एक भी पौधा नहीं था, वहां हजारों वृक्ष लहलहा रहे
पेड़ में पानी डालते प्‍लांटेशन मैन के नाम से चर्चित फेकन शर्मा। जागरण

जेएनएन, भभुआ। मोहनियां प्रखंड के कठेज गांव निवासी फेकन शर्मा उर्फ गांधी जी का जीवन वृक्षों की सेवा में समर्पित है। हजारों पौधे लगाने वाले फेकन शर्मा को  लोग प्लांटेशन मैन (Plantation Man) कहने लगे हैं। जिस तरह माता-पिता को अपने संतान को देखकर खुशी होती है, उसी तरह इनको अपने लगाए पौधों को देखकर होती है। उनके लगाए सैकड़ों पौधे वृक्ष के रूप में धरती व राहगीरों को शीतलता प्रदान कर रहे हैं।

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वृक्ष देवो भवः की अवधारणा को चरितार्थ करते हुए गांधी जी वृक्ष को देवता और बाग को मंदिर मानते हैं। 72 वर्ष की उम्र में भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ है। ये तन समर्पित मन समर्पित।तुझको ही जीवन समर्पित के संकल्प के साथ वृक्ष सेवा में जीवन बिता रहे हैं। गांधीवादी विचारधारा वाले फेकन शर्मा गांव में गांधी जी के नाम से ही जाने जाते हैं। ग्रामीणों के लिए ये प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इनके प्रयास से न केवल गांव में हरियाली लौटी बल्कि उनकी प्रेरणा से कई गांव के लोग पौधारोपण के लिए प्रेरित हो पर्यावरण संरक्षण में सहायक साबित हो रहे हैं।

तब नसीब नहीं होती थी वृक्षों की शीतल छाया- 17 वर्ष पूर्व कठेज गांव के बाहर एक भी वृक्ष नहीं थे। वहां आज हरियाली है। जेठ की दोपहरी में कठेज गांव के चारों तरफ राहगीरों को विश्राम करने के लिए छांव नसीब नहीं होता था। छांव की तलाश करते लोग मीलों दूर चले जाते थे। तब जाकर कहीं उन्हें छाया नसीब होती थी। फेकन शर्मा ने इसे महसूस किया। उन्‍होंने पौधे लगाने का संकल्‍प लिया। इसके बाद जो मिशन शुरू हुआ उसका असर दूर-दूर तक दिख रहा है। गांव के बाहर तक इनके लगाए पौधे आज विशाल वृक्ष बन गए हैं। पौधे लगाने के साथ-साथ उसकी सिंचाई और सुरक्षा का भी दारोमदार इनके कंधे पर है। कड़ाके की ठंड हो या जेठ की दोपहरी गांधी जी को वृक्षों की सेवा से नहीं रोक पाती है।

जेठ की दुपहरी में भी करते रहते हैं पेड़-पौधे की सिंचाई- दुबली-पतली काया वाले गांधीजी को दिन में वृक्षों के बीच देखा जा सकता है। जिस समय ताल-तलैया सूख जाते हैं उस समय भी वे नंगे पांव बाल्टी और घड़े में कुएं व चापाकल से पानी लेकर वृक्षों की सिंचाई करते हैं। यह भी इनकी आस्था को बयां करता है। इनको दो बेटे हैं जो कंपनियों में कार्यरत हैं। ये खुद भी अपने खेतों में काम करते हैं। गांव के चारों तरफ लगे सैकड़ों पेड़ फेकन शर्मा की पर्यावरण दूत के रूप में पहचान कराते हैं। इनके द्वारा लगाए गए अधिकतर वृक्षों में पीपल, बरगद, पकड़ी, श्रीफल एवं आम हैं। पीपल को हिंदू धर्म में देवता का रूप माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबसे अधिक अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन पीपल वृक्ष से होता है। पौधे लगाने के बाद वे मिट्टी का गैंबियन बनाकर उनकी रक्षा करते हैं।

 जहां भी जाते हैं करते हैं पौधारोपण के लिए प्रेरित- कठेज ग्राम निवासी पूर्व मुखिया योगेंद्र सिंह व चन्द्रमा सेठ बताते हैं कि पौधारोपण ही गांधी जी के जीवन का अंग बन चुका है। गांव ही नहीं वे यहां भी नाते-रिश्तेदारी में जाते हैं वहां भी पौधे लगाते हैं। लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करते हैं। गांव के ही सुदर्शन पांडेय मुंबई में कार्यरत हैं। आठ वर्ष पूर्व गांधी जी वहां गए थे। वहां उन्होंने बरगद के दो पौधे लगाए। आज वे पौधे पेड़ बन गए हैं। वहां बने चबूतरे पर बैठकर लोग शीतलता का आनंद लेते हैं। पंचायत में मनरेगा से हजारों पौधे लगाए गए हैं जिनकी सुरक्षा को लेकर फेकन ग्रामीणों को सचेत करते रहते हैं। इनके प्रयास से सात हजार वृक्ष हरे-भरे हो चुके हैं।

हरे-भरे वृक्षों को देखकर मिलता है सुकून- इस संबंध में जब फेकन शर्मा उर्फ गांधी जी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 17 वर्ष पूर्व पौधारोपण की बात दिमाग में आई। गांव से बाहर पेड़ नहीं होने से किसानों व राहगीरों को छाया नसीब नहीं होती थी। इस पर उन्होंने पौधे लगाने का काम शुरू किया। अब पौधारोपण, उनकी सिंचाई और सुरक्षा ही जीवन का अंग बन गया है। हरे-भरे वृक्षों को देखकर काफी सुकून मिलता है।


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