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शहादत दिवस : राष्ट्रपिता ने घोडाघाट में विद्यालय सह प्रशिक्षण केंद्र की रखी थी आधारशिला

1938 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी डोभी के घोडाघाट में पहुंचे थे। जहाँ मालिचक जंगल मे दर्जन भर स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बैठक किया था। अंग्रेज सिपाही घनघोर जंगल होने के कारण उस ओर रुख नही करते थे चुकी उसमें कई जंगली जानवर रहते थे। आज भी वहां अवशेष दिख जाएंगे।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:53 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:53 PM (IST)
शहादत दिवस : राष्ट्रपिता ने घोडाघाट में विद्यालय सह प्रशिक्षण केंद्र की रखी थी आधारशिला
1951 में मिट्टी के सहारे भवन बनाया गया जो अभी भी अवशेष के रूप में दिखता है

 संवाद सूत्र, डोभी: वर्ष 1938 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी डोभी के घोडाघाट में पहुंचे थे। जहाँ मालिचक जंगल मे दर्जन भर स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बैठक किया था। महात्मा ने घोडाघाट में अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया नील कोठी को ध्वस्त करने का प्लान बनाया। जिसका साथ पचरतन बाबू, रामदास दुबे, रामशरण तिवारी, तालकेश्वर प्रसाद और फिरंगी सिंह ने दिया। इनलोंगो ने गांव के कुछ स्वतंत्रता से प्यार करने वाले लोगों को भी बुलवाया। सभी के साथ बैठक किया गया और नील कोठी ध्वस्त करने का पूरा प्लान बन गया। 

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गांधी ने खुद ही सबसे पहला खूंटा किया था स्थापित 

महात्मा गांधी ने घोडाघाट के इस बीहड़ जंगल मे ही स्वतंत्रता सेनानी के लिए विद्यालय सह प्रशिक्षण केंद्र के रूप में फुस की झोपड़ी बनाने का कार्यक्रम तुरंत शुरू किया और खुद ही सबसे पहला खूंटा जमीन को खोद करके स्थापित किया। स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाकर कुछ लोगों के साथ निकल पड़े। इधर लोगों ने देखते ही देखते वहाँ पर कई कुटिया बना दिया। जहां दिन में सूत कताई के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया जाता था वही रात्रि में प्रशिक्षण दी जाती थी। अंग्रेज सिपाही घनघोर जंगल होने के कारण उस ओर रुख नही करते थे चुकी उसमें कई जंगली जानवर रहते थे।उक्त जगह पर बनाई गई कुटिया को कई बार जंगली जानवरों ने ध्वस्त किया था परन्तु पुनः उसका निर्माण किया जाता था। 

1951 में मिट्टी के सहारे भवन बनाया गया 

महात्मा गांधी के बताये गए तरीके पर चलकर स्थानीय आधा दर्जन स्वतंत्रता सेनानी ने नील कोठी को ध्वस्त कर दिया। देश के आजादी के बाद यहाँ 1951 में मिट्टी के सहारे भवन बनाया गया जो अभी भी अवशेष के रूप में दिखता है। वर्तमान समय मे इस स्थान पर राजकीय बुनियादी विद्यालय घोडाघाट, मध्य विद्यालय कोशमा और प्राथमिक विद्यालय निमियांटांड़ चल रहा है। मूलतः राजकीय बुनियादी विद्यालय घोडाघाट है जिसका भवन है। महात्मा गांधी के द्वारा इस जंगल मे खोदवाया गया कुआं का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। इस कुएं में विद्यालय के कूड़े-कचड़े को डालकर भर दिया गया है।


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