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औरंगाबाद के सीता थापा मंदिर में राम-लखन और जानकी ने किया था विश्राम, पत्थर पर है मां की हथेली के निशान

बिहार के औरंगाबाद के सीता थापा धार्मिक स्थल का खास महत्व है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां आज भी मां जानकी की हथेली के निशान हैं। यहां के कुएं के पानी को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी हैं।

By Rahul KumarEdited By: Published: Sat, 16 Apr 2022 11:34 AM (IST)Updated: Sat, 16 Apr 2022 11:34 AM (IST)
औरंगाबाद के सीता थापा मंदिर में राम-लखन और जानकी ने किया था विश्राम, पत्थर पर है मां की हथेली के निशान
बिहार के औरंगाबाद में स्थित मां सीता थापा मंदिर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। पहाड़ों की खूबसूरत वादियों में स्थित मदनपुर प्रखंड का सीता थापा पौराणिक ही नहीं बल्कि धार्मिक स्थल भी है। पहाड़ पर घने पेड़ों से इस स्थल की मनोरम छटा देखते ही बनती है। सुबह के समय जब भगवान सूर्य की लालिमा यहां पड़ती है तो दृश्य मनोरम हो जाता है। सीता थापा मंदिर का महत्व रामायण में भी वर्णित है। कहा जाता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद जब भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी (सीता) अयोध्या लौटे थे तो अपने पिता राजा दशरथ की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार (पिंडदान) के लिए गया धाम स्थित फल्गु नदी पहुंचे थे। तब राम के साथ मां सीता और लक्ष्मण भी थे। अयोध्या से गया जाने के दौरान सीता थापा में सभी ने विश्राम किया था। विश्राम के दौरान मां सीता ने जिस पत्थर पर अपना हाथ रखा था उस पत्थर पर हथेली का निशान आज भी है। इसी कारण इसे सीता थापा कहा जाता है।

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दूध की तरह सफेद है कुएं का पानी

सीता थापा में एक कुआं है, जिसका पानी दूध की तरह सफेद है। कहा जाता है कि इस कुएं के पानी से मां सीता के अलावा भगवान राम एवं लक्ष्मण ने अंजलिपान किया था। इस कुएं को आज सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है है कि कुएं का पानी चर्म रोग निवारक है।

राम, लखन, सीता और हनुमान का है मंदिर

सीता थापा में राम, लक्ष्मण, जानकी एवं हनुमान की पौराणिक प्रतिमा है। पहाड़ पर अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा है जिसे श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा की जाती है। एक शिवलिंग भी है, जिसपर श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। हर वर्ष यहां श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में दर्शन करते हैं।

रामायण सर्किट में शामिल किया गया है यह स्थल

सीता थापा को रामायण सर्किट में शामिल किया गया है। इस सर्किट में सीतामढ़ी में स्थित सीता की जन्मस्थली, पनौराधाम, पंथ पाकड़, हलेश्वर स्थान, दरभंगा का अहिल्या स्थान, पश्चिमी चंपारण का बाल्मिकी नगर, जानकी गढ़, बक्सर का रामरेखा घाट, भोजपुर का तार जहां तारका का वद्ध किया गया था, जमुई का गिद्धेश्वर, जहानाबाद का काको को शामिल किया गया है।

कहते हैं स्थानीय नागरिक

स्थानीय पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह, नागरिक सह पंसस प्रतिनिधि नरेश कुमार सिंह, प्रमुख प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने बताया कि सीता थापा काफी पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थल भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी से जुड़ा है। ऐसी कथा प्रचलित और मान्यता है कि अयोध्या से गया पिंडदान करने जाने के दौरान यहां राम, लक्ष्मण और सीता ने आराम किया था। आज भी मां सीता के पंजे का निशान पत्थर पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थल को रामायण सर्किट में जोड़ा गया है। जरूरत है इसे अब पर्यटन स्थल की तरह विकास करने की। पर्यटन के तहत विकास होने से यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आएंगे और इस धाम के महत्व के बारे में जानेंगे।


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