Move to Jagran APP

सुविधाओं के अभाव में नहीं हो सका कुदरा बाजार का विकास

रोहतास व कैमूर जिलों के सबसे पुराने बाजारों में शुमार होने के बावजूद सुविधाओं के अभाव में कुदरा बाजार अपेक्षित विकास नहीं कर सका।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 08:42 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 08:42 AM (IST)
सुविधाओं के अभाव में नहीं हो  
सका कुदरा बाजार का विकास
सुविधाओं के अभाव में नहीं हो सका कुदरा बाजार का विकास

गया। रोहतास व कैमूर जिलों के सबसे पुराने बाजारों में शुमार होने के बावजूद सुविधाओं के अभाव में कुदरा बाजार अपेक्षित विकास नहीं कर सका। आजादी के बाद कई लोकसभा व विधानसभा चुनावों के बाद भी बाजार में सार्वजनिक शौचालय व पेयजल की न समुचित व्यवस्था हो सकी, न ही रोशनी और सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम हो सका। इसके उलट अतिक्रमण और बेतरतीब निर्माण के चलते बाजार दिन प्रतिदिन संकीर्ण होता गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक कुदरा बाजार आजादी से पहले का है। तब इसे जहानाबाद बाजार के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश शासन काल में ही जब इलाके से होकर रेल लाइन गुजरी तो यहां बनाए गए रेलवे स्टेशन को क्षेत्र से होकर गुजरने वाली कुदरा नदी के नाम पर कुदरा नाम दिया गया। बाद में उसी नाम से यहां के बाजार को भी जाना जाने लगा। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाजार में मौजूद अनेक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का संचालन पिछली कई पीढि़यों से हो रहा है, लेकिन कई पीढि़यां गुजरने के बाद भी बाजार में सार्वजनिक सुविधाओं में बेहतरी देखने को नहीं मिली।

loksabha election banner

स्थानीय वस्त्र व्यवसायी हरिओम रस्तोगी कहते हैं कि बाजार में सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के चलते उन लोगों खासकर महिलाओं को काफी परेशानी होती है जो यहां खरीदारी करने के लिए आते हैं। पेयजल के लिए भी कई बार पाइपें बिछाई गईं लेकिन संतोषजनक व्यवस्था नहीं हो सकी। जहां-तहां एलईडी लैंप सरकारी खर्चे से लगाए गए हैं लेकिन स्ट्रीट लाइट जैसी सुव्यवस्थित सुविधा नहीं दी गई। सुरक्षा के लिहाज से भी कुदरा बाजार के लिए कोई काम नहीं किया गया। आज के समय में सुरक्षा के लिए जगह जगह क्लोज सर्किट कैमरा लगाने का चलन है, लेकिन कुदरा बाजार के लिए इस तरह की सुविधा मुहैया कराने के विषय में कभी नहीं सोचा गया। स्थानीय लोगों की मानें तो अतिक्रमण और मनमाने निर्माण के चलते बाजार पहले की तुलना में संकीर्ण होता गया। खासतौर पर ऐसे समय में जबकि दो पहिया व चार पहिया वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है बाजार का संकीर्ण होना इसके विकास में बाधक साबित हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.