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Kaimur News: कभी भी ध्‍वस्‍त हो सकता मोहनियां प्रखंड का ये सरकारी आवास, मगर जर्जर घर में रहने को विवश हैं कर्मी

प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में बना सरकारी आवास कभी भी ध्वस्त हो सकता है। भवनों की जर्जरता देखने के बाद शायद ही इसमें कोई रहना चाहेगा। लेकिन प्रखंड व अंचल कार्यालय के पदाधिकारी व कर्मी इसमें रहने को मजबूर हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 03:26 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 03:26 PM (IST)
Kaimur News: कभी भी ध्‍वस्‍त हो सकता मोहनियां प्रखंड का ये सरकारी आवास, मगर जर्जर घर में रहने को विवश हैं कर्मी
जर्जर आवास में रहने को मजबूर कर्मी, सांकेतिक तस्‍वीर।

मोहनियां (कैमूर), संवाद सूत्र। स्थानीय प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में बना सरकारी आवास कभी भी ध्वस्त हो सकता है। भवनों की जर्जरता देखने के बाद शायद ही इसमें कोई रहना चाहेगा। लेकिन प्रखंड व अंचल कार्यालय के पदाधिकारी व कर्मी इसमें रहने को मजबूर हैं। आवास के अभाव में कई कर्मी किराए के मकान में रहते हैं। छह दशक पूर्व बने इस आवास की दीवारों में दरारें पड़ी हैं। ईंटों के निकलने से दीवार में गड्ढे बन गए हैं। इससे भवन काफी कमजोर हो चुके हैं। पदाधिकारी व कर्मी जान जोखिम में डाल कर रहते हैं।

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छह दशक पूर्व मोहनियां में हुई थी कार्यालय व आवास की स्थापना

30 जनवरी 1956 को मोहनियां में प्रखंड सह अंचल कार्यालय की स्थापना हुई थी। अब कार्यालय व आवास इतना जर्जर हो चुका है की कभी भी ध्वस्त हो सकता है। सरकारी तौर पर दूसरों को आवास की व्यवस्था करने वाले खुद ही जर्जर आवास में रहने को विवश हैं। प्रखंड कार्यालय परिसर में उत्तर तरफ दो दर्जन आवास बने हैं। जिसमें एक दर्जन आवास प्रखंड का एवं एक दर्जन परियोजना का है। इसी जर्जर आवास में अंचल के सीओ सहित अन्य कर्मी व अभियंता रहते हैं। आवास में रहने वाले कमरों की मरम्मत करा कर काम चलाऊ बनाते हैं। लेकिन बाहर की स्थिति आवासों की जर्जरता का पुख्ता प्रमाण है। आवासों का प्लास्टर टूटने के बाद उसमें दरारें पड़ चुकी हैं।

 पूरे साल रहता है जलजमाव

सरकारी आवास के पीछे सालो भर जलजमाव रहता है। इसके कारण दीवार में नमी रहती है। जगह जगह की ईंटें निकल जाने से दीवार में बड़े बड़े गड्ढे बन गए हैं। जिसमें विषैले जंतुओं का डेरा है। कुछ आवास तो ध्वस्त हो चुके हैं। आवासों के पानी का पीछे निकास होता है। जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण सालों भर झील का नजारा रहता है। जिसमें सूअर डेरा डाले रहते हैं। आवास के पीछे जलजमाव व लगी झाडिय़ों के कारण मच्छरों की भरमार रहती है। गंदगी से निकलने वाली दुर्गंध से आवास में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है।

बरसात में लोगों की होती है फजीहत

बरसात में पदाधिकारी व कर्मियों की फजीहत होती है। बारिश होने पर छत का पानी भीतर ही गिरता है। जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने से आवास में इतना पानी जमा हो जाता है कि इसमें रहने वालों का निकलना मुश्किल होता है। इस बरसात में भी एक सप्ताह तक आवास परिसर व इसके बाहर सड़क पर घूटने भर पानी जमा था। बरसात में कर्मियों की नींद हराम हो जाती है। जहां के पदाधिकारी एवं कर्मी आवास की समस्या से जूझ रहे हो वे सरकारी कामकाज कितना निपटा पाएंगे इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रखंड कार्यालय परिसर का भी यही हाल है। जगह जगह चहारदीवारी के टूटने के कारण कार्यालय असुरक्षित है।

इसी परिसर में है आधा दर्जन कार्यालय

इसी परिसर में अंचल, कृषि, मनरेगा, अवर निबंधन व शिक्षा विभाग तथा पुलिस निरीक्षक का कार्यालय है। चहारदीवारी के टूटने से रात में परिसर में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होता है। ज्ञात हो की इन्हीं पदाधिकारियों व कर्मियों द्वारा लाभुकों को प्रधानमंत्री आवास एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। प्रखंड सह अंचल कार्यालय के पदाधिकारियों व कर्मियों को सुरक्षित ठिकाने की दरकार है।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

इस संबंध में मोहनियां के बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी को आवास व प्रखंड कार्यालय के जीर्णोद्धार के लिए लिखा गया था। वहां से इस प्रस्ताव को विभाग को भेजा गया है।


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