Move to Jagran APP

बिहार बीज की साख खराब कर रहे कैमूर के डीलर, किसानों को नहीं दे रहे कैश-मेमो, कैसे होगा बेहतर उत्‍पादन

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा उत्पादित बिहार बीज प्रदेश में कृषि की उन्नति में मददगार साबित हो रहा है। यह बीज प्रदेश सरकार की बीज विस्तार व उन्नत खेती की योजनाओं का आधार साबित हो रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 06:12 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 06:12 PM (IST)
बिहार बीज की साख खराब कर रहे कैमूर के डीलर, किसानों को नहीं दे रहे कैश-मेमो, कैसे होगा बेहतर उत्‍पादन
कृषि की उन्नति में मददगार साबित हो रहा बिहार बीज। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

संवाद सूत्र, कुदरा (भभुआ)। बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा उत्पादित 'बिहार बीज' प्रदेश में कृषि की उन्नति में मददगार साबित हो रहा है। यह बीज प्रदेश सरकार की बीज विस्तार व उन्नत खेती की योजनाओं का आधार साबित हो रहा है, लेकिन इस बीज को बेचने वाले कुछेक अनुज्ञप्ति प्राप्त विक्रेताओं की करतूत की वजह से बिहार राज्य बीज निगम व कृषि विभाग की साख खराब हो रही है।

loksabha election banner

ये बीज विक्रेता कृषि विभाग के प्रावधानों व निर्देशों को धता बताते हुए अपने फायदे के लिए मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। ऐसा ही मामला इन दिनों कुदरा में कृषि विभाग के बीज विक्रेता को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रखंड कृषि कार्यालय के सरकारी भवन में कार्यरत उस बीज विक्रेता की गतिविधियां सरकार के नियमों से मेल नहीं खाती। बिहार सरकार के कृषि विभाग का ख्यातिप्राप्त संगठन बिहार राज्य बीज निगम सिर्फ बीज तैयार करके बेचता है, वह उसके साथ अलग से कोई दवा नहीं बेचता।

स्थानीय किसानों का कहना है कि कृषि विभाग का बीज विक्रेता किसानों को बीज निगम के बीज के साथ विभिन्न खरपतवार नाशी व कीटनाशी महंगी दवाओं को लेने के लिए बाध्य करता है। अक्सर उन दवाओं की कीमत बीज से काफी अधिक होती है। यह सरकार के कृषि विभाग की नीति व नीयत के बिल्कुल उलट है। प्रदेश सरकार का कृषि विभाग जहां किसानों के हित में अपनी योजनाओं के तहत बीज पर अधिक से अधिक अनुदान देता है, वहीं बीज विक्रेता किसानों से अधिक से अधिक वसूली की कोशिश कर सरकार की मंशा पर पानी फेर देता है। किसानों ने बताया कि बीज विक्रेता के द्वारा अक्सर बीज का कैशमेमो भी नहीं दिया जाता है।

जानकारी के मुताबिक बीज निगम के बीज का सॉफ्टवेयर जेनरेटेड कैशमेमो देने का प्रावधान है। मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में प्रखंड के नेवरास गांव निवासी रमेश कुमार नामक एक किसान के द्वारा जब इन अनियमितताओं के प्रति सार्वजनिक रूप से विरोध जताया गया तब उन्हें एक रोज बाद बीज का कैशमेमो दिया गया। रमेश कुमार का कहना है कि बीज विक्रेता के द्वारा उन्हें दिए गए कैशमेमो में उन दवाओं के लिए भी राशि वसूली गई है जिन दवाओं की उसके द्वारा बीज के साथ आपूर्ति नहीं की गई है।

इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी ठाकुर प्रसाद ने बताया कि बीज विक्रेता के क्रियाकलापों से वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराया जाता रहा है ताकि नियमानुसार कार्रवाई हो सके। बताते चलें कि कोरोना काल होने के बावजूद बिहार राज्य बीज निगम ने अपने बीज उत्पादक किसानों की बदौलत इस वर्ष धान का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उसके द्वारा उन पर क्यूआर कोड लगाने की पहल भी की गई है। लेकिन बीज विक्रेता की मनमानीपूर्ण गतिविधियों के चलते किसानों के मन में कृषि विभाग के इतने सक्षम संगठन की गलत छवि बन रही है।

इस संबंध में बिहार राज्य बीज निगम के कुदरा क्षेत्रीय कार्यालय के प्लांट अभियंता उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि बीज विक्रेताओं को अनुज्ञप्ति जिला कृषि कार्यालय के द्वारा दी जाती है तथा उसी की देखरेख में उन्हें किसानों के बीज बीज की नियमानुसार बिक्री करनी होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.