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कैमूर: प्राकृतिक जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की मुहिम कारगर नहीं, हाईकोर्ट की सख्ती भी बेअसर

जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की सरकारी कवायद अधिकारियों की उदासीनता से कारगर साबित नहीं हो रही है। जबकि जलस्त्रोतों को ढूंढने व मृतप्राय हो चुके जलस्त्रोतों को नई जिंदगी देने के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 02:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Feb 2022 07:24 PM (IST)
कैमूर: प्राकृतिक जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की मुहिम कारगर नहीं, हाईकोर्ट की सख्ती भी बेअसर
रामगढ़ प्रखंड के डरबन गांव के तालाब के पिंड पर बांधे गए मवेशी

 संवाद सूत्र, रामगढ़: रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र में अपना वजूद खो रहे तालाबों की नई जिंदगी की आस धूमिल होती दिख रही है। जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की सरकारी कवायद अधिकारियों की उदासीनता से कारगर साबित नहीं हो रही है। जबकि जलस्त्रोतों को ढूंढने व मृतप्राय हो चुके जलस्त्रोतों को नई जिंदगी देने के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है। कई बार जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए सरकार ने फटकार भी लगाई। बावजूद जलस्त्रोतों का वजूद मिटने से नहीं रोका जा रहा है। न्यायालय के निर्देश के आलोक में सरकार द्वारा जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने का फरमान जारी किया गया। यहां तक हुआ कि गांव के कुएं भी ढूंढ निकाल उसका जीर्णोद्धार होगा।

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जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की बात ही बेमानी 

सच तो यह है अंचलाधिकारी के स्तर से रामगढ़ में इस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। ऐसी स्थिति में आहर पइन, तालाब, पोखर के साथ गांव में पड़ी गड़ही आदि जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की बात ही बेमानी लग रही है। शासन से लेकर प्रशासन द्वारा जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की दिशा में कार्रवाई हो गई है। लेकिन किन-किन तालाबों को इसके श्रेणी में रखा गया है इससे अंचल कार्यालय पूरी तरह से बेफिक्र नजर आ रहा है। जिस डरवन के ऐतिहासिक तालाब पर छह माह पहले से ही अतिक्रमण वाद चलाए जाने की बात अंचल द्वारा होने की बात हो रही है। वह धरातल पर पूरी तरह से गलत साबित हुई। 

गोड़सरा गांव के तालाब के पिंड पर पसरी गंदगी

जागरण की पड़ताल में पहले से भी ज्यादा अतिक्रमण

लोगों की शिकायत पर जागरण के द्वारा जब इसकी पड़ताल हुई तो पहले से भी इस तालाब पर ज्यादा अतिक्रमण होता दिख रहा है। तालाब के दो तरफ उत्तर व दक्षिण पिंड पर लोगों का आशियाना बन गया है और शेष हिस्से पर मवेशी बांधे जा रहे हैं। किनारे से स्कूल जाने वाला रास्ता भी बाधित है। मवेशियों के पेड़ो में बांधने से मनरेगा द्वारा लगाए गए सब पौधे भी नष्ट हो रहे हैं। ऐसी स्थिति प्रायः हर जगह के जलस्त्रोतों की है। रही बात गांव में प्राकृतिक आपदाओं में सहायक होने वाली गड़ही व पइन की तो इसे सरकारी महकमा द्वारा बंदोबस्त कर दिया गया।

43 में से 35 जलस्रोतों के अतिक्रमण मुक्ति की कागजी कार्रवाई

रामगढ़ में प्रथम फेज में 43 जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की प्रशासनिक पहल हुई। जिसमें 35 जलस्त्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की कागजी प्रक्रिया कर दी गई और बताया गया कि इन जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त करा दिया गया। अन्य पर अतिक्रमण वाद की कार्रवाई चल रही है। लेकिन कौन-कौन तालाब को अतिक्रमणमुक्त किया गया है इसकी जानकारी अंचलाधिकारी द्वारा नहीं मिल पा रही है। जबकि इसके अलावा कई ऐसे तालाब व जलाशय हैं जिसका वजूद मिट गया है। गोड़सरा गांव स्थित पोखरे की आधी जमीन बंदोबस्त भी कर दी गई। जिसपर कई लोगों का सरकारी आवास भी बन गया है। यही रामगढ़ में जलस्त्रोतों के अतिक्रमणमुक्त कराने का सच है।


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