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जेएनयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष के रूप में तनवीर अख्‍तर ने शुरू की राजनीति, कांग्रेस ने बनाया था एमएलसी

गया के शांतिबाग के रहनेवाले जदयू के विधान पार्षद तनवीर अख्‍तर के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। नई दिल्‍ली के जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत करनेवाले अख्‍तर को कांग्रेस ने विधान पार्षद बनाया था।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 02:12 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 02:12 PM (IST)
जेएनयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष के रूप में तनवीर अख्‍तर ने शुरू की राजनीति, कांग्रेस ने बनाया था एमएलसी
एक कार्यक्रम में बोलते विधान पार्षद तनवीर अख्‍तर। फाइल फोटो

गया, जागरण संवाददाता। कोरोना से जिंदगी की जंग हारने वाले जदयू के विधान पार्षद तनवीर अख्‍तर (MLC Tanveer Akhtar ) का गया के शांतिबाग में आवास है। मूल रूप से शेरघाटी में इनका घर था लेकिन बाद में परिवार गया शहर में ही बस गया। कांग्रेस के कोटे से विधान पार्षद बने तनवीर अख्‍तर (58) के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। बीते 26 अप्रैल को तबियत बिगड़ने के बाद उन्‍हें पटना के आइजीआइएमएस (IGIMS) में भर्ती कराया गया था। वहां शनिवार की सुबह उन्‍होंने आखिरी सांसें लीं। मिलनसार स्वभाव के संघर्षशील और बेबाक व्‍यक्तित्‍व वाले तनवीर अख्‍तर के निधन पर हर दल के नेताओं ने शोक जाहिर किया है। 

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जेएनयू से शुरू की छात्र राजनीति 

तनवीर अख़्तर जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी (Jawahar Lal Nehru University) के छात्र रहे हैं। एनएसयूआइ (NSUI) के उम्‍मीदवार के रूप में उन्‍होंने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। कहा जाता है कि इस पद पर पहुंचने वाले पहले मुस्लिम थे। कांग्रेस के युवा नेता के रूप में उनकी पहचान बनी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांंग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद (Congress Leader Ghulam Nabi Azad) के बेहद करीबी थे। बिहार में भी कांग्रेस के सिपाही बने रहे। इस दौरान कांग्रेस के तत्‍कालीन प्रदेश अध्‍यक्ष व वर्तमान में जदयू नेता व मंत्री अशोक चौधरी (JDU leader and Minister) से इनकी नजदीकी थी। इस कारण जब अशोक चौधरी ने कांग्रेस छोड़ी तो तनवीर अख्‍तर भी उनके साथ जदयू में आ गए। हालांकि विधान पार्षद कांग्रेस ने ही बनाया था। इनका कार्यकाल 2022 तक था।

यूथ कांग्रेस के रहे थे प्रदेश अध्‍यक्ष 

यूथ कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष रहे तनवीर अख़्तर को जदयू ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की ज़िम्मेवारी सौंपी थी।प्रकोष्‍ठ के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्‍होंने जदयू से मुसलमानों को जोड़ने का पूरा प्रयास किया।  हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जदयू ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को चार भाग में बांट दिया और तनवीर अख़्तर को प्रकोष्ठ का बिहार प्रभारी बना दिया था। अपने संघर्षों के बल पर इन्होंने राजनीति में पहचान बनाई थी। इनके छोटे भाई खुर्शीद अख्‍तर ने बताया कि पटना में ही उनकाे सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। छह भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। दो संतान हैं। बेटी बड़ी है। बेटा छोटा है वह केंद्रीय विद्यालय में पढ़ता है।  


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