जागरण विशेष: एक गांव ऐसा भी जहां 35 घरों में रोज एक किलोमीटर दूर से आता पानी, तब बुझती प्यास
गया जिले के शेरघाटी प्रखंड के ढाबचिरैया पंचायत अंतर्गत ग्राम सोंडीहा टोला हलीम गंज के 35 घरों की लगभग 300 की आबादी को आजादी के 72 वर्ष बीतने के बाद भी शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है। खेत से सिंचाई का पानी भरकर लाते हैं।
संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। गया जिले के शेरघाटी प्रखंड के ढाबचिरैया पंचायत अंतर्गत ग्राम सोंडीहा टोला हलीम गंज के 35 घरों की लगभग 300 की आबादी को आजादी के 72 वर्ष बीतने के बाद भी शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है। गांव के ग्रामीण 80 वर्षीय देवचरण प्रजापत 60 वर्षीय सुरेश प्रजापत, झिरनिया देवी, मंगरी देवी आदि बताते हैं कि गर्मी के मौसम शुरू होते ही पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। गांव के लोग स्थानीय बधार में सिंचाई के लिए चलाया जा रहा मोटर पंप का पानी लाने के लिए बाध्य होते हैं। हम ग्रामीणों को आधा किलो मीटर से लेकर 1 किलोमीटर तक पानी की खोज में जाना पड़ता है। यही नहीं कपड़ा धोने, जानवर को खाना पानी देने के लिए अगर किसी किसान के खेत में सिंचाई का पानी जमा होता है तो वहां से पानी भरकर लाते हैं।
मंगरी देवी एक ऐसी ही महिला मिली जो बधार से जानवर को पानी पिलाने के लिए गड्ढे में जमा पानी भर कर लाते देखी गई। उन्होंने पूछने पर बताया कि हम लोग प्रतिदिन इसी प्रकार किसी न किसी किसान के खेत में हो रहे सिंचाई के पानी से अपना काम चलाते हैं। जब सिंचाई करता हुआ कोई पानी नहीं मिलता तो दूर के बधार में मंजर खान द्वारा लगाया गया सिंचाई पंप के हौज से जमा पानी को लाते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि मंजर खान ही हम लोगों के लिए उपकारी बने हुए हैं। उन्होंने कहा है कि जब भी लाइन रहे गांव के लोग मोटर चालू कर पानी ले आइए। पीने के पानी लाने के लिए किसी को रोक नहीं है।
पूर्व पंचायत समिति सदस्य उमेश प्रजापत ग्रामीण बाढ़न प्रजापत, उपेंद्र मंडल आदि बताते हैं कि ईसी मोटर पंप के माध्यम से पूरे गांव के लोग गर्मी के मौसम में पानी पीते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 2 साल पूर्व यहां नल जल योजना के तहत बोरिंग किया गया। बोरिंग के बाद गांव के मुख्य गली में पाइप बिछाया गया। उसके बाद से काम बंद है। लगभग 2 वर्ष बीत चुके हैं। अधिकारियों के पास भी शिकायत की गई है। परंतु नल जल योजना चालू नहीं हो सका है। ग्रामीणों के अनुसार स्थानीय मुखिया राम लखन मांझी द्वारा बाहरी ठेकेदार को बुलाकर बोरिंग एवं पाइप बिछा कर छोड़ दिया गया है।
स्थानीय वार्ड पार्षद को साथ नहीं लिया गया जिसके कारण योजना आज भी अपूर्ण है। मुखिया और वार्ड सदस्य के बीच झगड़ा बताया जाता है। इन दो जनप्रतिनिधियों के आपसी विवाद में पूरा गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। अधिकारी भी सुनने को तैयार नहीं है। कागजी दस्तावेजों में लगभग सभी नल जल योजना को पूर्ण दिखा दिया गया है परंतु सच तो यह है कि नल जल योजना का लाभ इन ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। ऐसे में ग्रामीण गड्ढे के पानी और बधार से सिंचाई हो रहे पंप से पानी लाने को मजबूर हैं। ग्रामीण बताते हैं कि जमीन के अंदर पहाड़ पत्थर मिलने के कारण सामान्य बोरिंग से गांव के अधिकांश हिस्से में जल स्तर नहीं मिलता है। इसलिए बड़ा हीरा बोरिग के द्वारा ही पेयजल सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि गांव में लगा दो सरकारी चापाकल भी दिखावा की वस्तु बनकर रह गयी है।
कम गहराई तक बोरिंग किए जाने के कारण चापाकल फेल हो चुका है। ऐसे में ग्रामीणों के लिए पेयजल की समस्या गहरा गई है। जैसे जैसे गर्मी का तापमान बढ़ेगा ग्रामीणों के समक्ष पेयजल का पानी की समस्या बढ़ती जाएगी। ग्रामीण बताते हैं कि पंचायत चुनाव में सब लोग वोट मांगने आएंगे। वादा करके जाते हैं परंतु 72 साल में हम ग्रामीणों को पीने का पानी तक नहीं मिला है।