गया विधान परिषद की सीट पर उम्मीदवारी तय करना आसान नहीं, एनडीए में हो सकता है सिरफुटौव्वल
गया में निकाय विधान परिषद की सीट पर अभी किसी की उम्मीदवारी सामने नहीं आई है। न तो तब के प्रतिद्वंद्वी और आज के दोस्त भाजपा और जदयू की ओर से और न महागठबंधन की ओर से। लेकिन राजनीतिक हलके में चर्चा जरूर हो रही है।
गया, जागरण संवाददाता। विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) में उम्मीदवारी तय करने में इस बार राजग (NDA) में ही सिरफुटौव्वल हो सकती है। भाजपा-जदयू (BJP and JDU) को काफी माथापच्ची करनी पड़ सकती है। कारण 2014 में दोनों उम्मीदवार आमने-सामने चुनाव लड़े थे, इस बार बदले गठबंधन में दोनों उम्मीदवार एक हीं दल में हैं। ऐसे में उम्मीदवारी तय करना आसान नहीं होगा। अभी उम्मीदवार बनाने की चर्चा जोरों पर है। लेकिन जदयू और भाजपा ने गठबंधन के उम्मीदवार का पत्ता नहीं खोला है। इस कारण से दोनों उम्मीदवारों की टकटकी लगी है। गठबंधन किसे उम्मीदवार बनाएगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। हालांकि थानीय निकाय गया विधान परिषद चुनाव की अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इधर राजद की ओर से भी अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं। हालांकि संभावित नामों की चर्चा जरूर तेज हो गई है।
तब थे आमने-सामने अब तो एक गठबंधन ही नहीं एक ही दल में
वर्तमान में स्थानीय निकाय गया विधान परिषद चुनाव सीट पर जदयू का कब्जा है। जदयू की सीट पर मनोरमा देवी है। वे गया-जहानाबाद-अरवल जिले का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। तब 2014 में जदयू-राजद-कांग्रेस का महागठबंधन था। इनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा-हम-लोजपा-रालोसपा के उम्मीदवार डॉ.अनुज कुमार सिंह थे। इस बार गठबंधन का स्वरूप बदला हुआ है तो डॉ. अनुज भी जदयू में आ गए हैं। ऐसे में आमने-सामने चुनाव लड़ने वाले एक गठबंधन में नहीं बल्कि एक ही दल में हैं। लेकिन गठबंधन बदलने के कारण भाजपा-जदयू-हम-लोजपा एक साथ है। बिहार में बड़ा दल होने के कारण स्थानीय निकाय गया विधान परिषद सीट पर भाजपा भी दावा कर सकती है।
क्या, भाजपा करेगी इस सीट पर दावा
जानकार बताते है कि चूंकि 2019 में लोकसभा चुनाव में गया संसदीय सीट को भाजपा ने बड़े भाई होने के नाते छोड़ दिया था। यह सीट जदयू के खाते में चली गई थी। इसी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विधान परिषद चुनाव में जदयू की यह सीट भाजपा को जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो स्थानीय निकाय गया विधान परिषद सीट के लिए भाजपा को एक सशक्त उम्मीदवार को तलाशना करना पड़ेगा। जिनका जनाधार गया के साथ-साथ जहानाबाद और अरवल जिले के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि और नगर निकाय के वार्ड पार्षद के बीच होना चाहिए। कारण विधान परिषद चुनाव में पंचायत, जिला पार्षद और नगर निकाय के प्रतिनिधि भी मतदाता होते हैं।