Move to Jagran APP

Bihar Politics: बिहार में BJP को घेर NDA में मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं जीतन राम मांझी? जानिए इनसाइड स्‍टोरी

Bihar Politics हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी और वीआईपी अध्‍यक्ष मुकेश सहनी की मुलाकात के राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। इसके पहले जीतन राम मांझी ने बीजेपी नेतृत्‍व वाली स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था पर हमला किया तो कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए सीएम नीतीश की सराहना भी की।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 01:12 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 06:41 PM (IST)
Bihar Politics: बिहार में BJP को घेर NDA में मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं जीतन राम मांझी? जानिए इनसाइड स्‍टोरी
'हम' अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, ऑनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics कोरोनावायरस के संक्रमण काल (CoronaVirus Pandemic Era) में हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) और विकासशील इनसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष व बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) की मुलाकात राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबधन (NDA) में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सिरदर्द बढ़ा सकती है मांझी ने एक तरफ कोरोना काल में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) नहीं करा कर वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने की मांग की है तो दूसरी तरफ राज्‍य की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था (Health System) को बदहाल बता सरकार की एक तरह से खिंचाई भी कर दी है। हालांकि, उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को करोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) की घटती दर के लिए धन्यवाद भी दिया है। मांझी के कई बयान एनडीए में रहते हुए भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरते नजर आ रहे हैं। इसके सियासी मायने तो निकाले ही जाएंगे।

loksabha election banner

सियासी प्रतिबद्धताओं को लेकर अनिश्चितता का इतिहास

जीतन राम मांझी व मुकेश सहनी एनडीए की सरकार में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोगी हैं, लेकिन उनकी सियासी प्रतिबद्धताओं को लेकर अनिश्चितता का इतिहास रहा है। एनडीए के बहुमत का आंकड़ा भी दोनों के दलों पर निर्भर हैं। हालांकि, मांझी के राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) व उसके सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) तथा नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) पर हमलावर रुख को देखते हुए किसी सियासी उलटफेर की संभवना नहीं दिखती। 'हम' के प्रवक्‍ता दानिश रिजवान ने भी कहा है कि जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी बराबर मुलाकात करते रहते हैं, इसमें कोई नई बात नहीं है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को घेरा तो सीएम नीतीश के पक्ष में बोले

मांझी व सहनी की मुलाकात भले ही नई नहीं हो, लेकिन इसकी पृष्‍ठभूमि गौर करने लायक है। शनिवार की सुबह जीतन राम मांझी ने बिहार सरकार की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था पर तंज कसते हुए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ भी की थी। मांझी ने ठीक उसी भाषा में सरकार को राज्‍य में स्‍वास्‍थ्‍य उप केंद्रों को बेहतर बनाने की सलाह दी, जिस भाषा में इन दिनों आरजेडी सहित अन्‍य विपक्षी दल हमलावर हैं। कहा कि लॉकडाउन कोरोनावायरस संक्रमण से निबटने का समाधान नहीं है। इससे निपटना है तो गांवों के स्‍वास्‍थ्‍य उपकेंद्रों को दुरुस्‍त करना होगा। बिहार सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग एनडीए के घटक दल बीजेपी के पास है और मंगल पांडेय (Mangal Pandey) स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हैं। मांझी की बात बीजेपी को सुझाव हो या उसपर हमला, सत्‍ता पक्ष के सुर से अलग राग जरूर है। इतना ही नहीं, उन्‍होंने लगे हाथ कोरोनावायरस संक्रमण रोकने के लिए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ भी की है।

मुकेश सहनी से की मुलाकात, कई मुद्दों पर हुई बात

इस बयान को ट्वीट करने के बाद मांझी ने 'वीआइपी' अध्‍यक्ष व मंत्री मुकेश सहनी से मुलाकात की। बाद में मांझी ने कहा कि इस मुलाकात में पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने सहित अन्य मुद्दों को लेकर विमर्श हुआ। विदित हो कि मांझी ने इसके पहले शुक्रवार को ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल को छह महीने तक बढ़ाने की मांग की थी। इसके लिए उन्‍होंने आपातकाल के दौरान लोकसभा की अवधि छह महीने बढ़ाए जाने का हवाला दिया था। स्‍पष्‍ट है कि मांझी इस मुद्दे पर मुकेश सहनी का समर्थन लेने गए थे, लेकिन इस मुलाकात में चर्चा के 'अन्‍य मुद्दे' क्‍या थे, इसकी जानकारी तो उन्‍होंने नहीं दी।

लॉकडाउन में मुलाकात के तलाशे जा रहे हैं मायने

'हम' प्रवक्‍ता दानिश रिजवान इस मुलाकात को रूटीन बताते हैं, लेकिन गौरतलब है कि यह मुलाकात सरकार द्वारा अपने मंत्रियों को लॉकडाउन में इधर-उधर भ्रमण से बचने की सलाह देने के तुरंत बाद हुई। मांझी भले ही मंत्री नहीं हों, लेकिन सत्‍ताधारी गठबंधन के बड़े नेता के तौर पर उन्‍होंने एक मंत्री से मुलाकात की, जिसके मायने तलाशे जा रहे हैं।

मांझी ने हाल में पीएम पर भी लगाया था निशाना

सवाल यह भी उठा है कि क्‍या मांझी व मुकेश सहनी नाराज चल रहे हैं? मांझी के निशाने पर बीजेपी है या मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार? मांझी ने मुख्‍यमंत्री की तारीफ करते हुए बिहार की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था को कटघरे में खड़ा किया है। यह सीधे तौर पर बीजेपी नेता व स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय पर हमला माना जा रहा है। मांझी ने पहली बार बीजेपी पर हमला नहीं किया है। बीते 24 मई को तो उन्‍होंने कोरोनावायरस टीकाकरण के प्रमाण-पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी (PM Narendra Modi) की तस्‍वीर पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि अगर ऐसा है तो मृत्‍यु प्रमाण-पत्र पर भी उनकी तस्‍वीर होनी चाहिए। बिहार में लॉकडाउन लागू किए जाने पर उन्‍होंने इसके पहले गरीबों के लिए मुफ्त राशन व खाने-पीने की व्‍यवस्‍था करतन तथा बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिलने तक पांच हजार रुपये महीना की सहायता देने की भी मांग रखी थी। बिहार की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था की पोल खोलने के दौरान जब पप्‍पू यादव (Pappu Yadav) ने बीजेपी के बड़े नेता व सांसद राजीव प्रताप रूड़ी (Rajeev Pratap Rudy) के बेकार पड़े एंबुलेंस का मामला उठाया, उसके बाद पप्‍पू यादव की एक पुराने मामले में गिरफ्तारी हो गई। मांझी ने इसका भी विरोध किया।

विधान परिषद मनोनयन के दौरान दिखी थी नाराजगी

मांझी एनडीए में समय-समय पर नाराज भी होते रहे हैं। हाल की बात करें तो बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के लिए बीते दिनों हुए मनोनयन में मांझी व मुकेश सहनी की अपने दलों के लिए एक-एक सीट की मांग अस्वीकार कर दी गई थी। इसे लेकर उनकी नाराजगी भी जाहिर हुई थी।

बड़े सियासी उलटफेर का कारण बन सकती नाराजगी

तो क्‍या मांझी पाला बदल की तैयारी में हैं? मांझी जानते हैं कि बिहार की 243 सदस्‍यीय बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में एनडीए का गिनती की सीटों पर टिके बहुमत में उनकी पार्टी के चार विधायकों का अहम योगदान है। ऐसे में मांझी की नाराजगी बड़े सियासी उलटफेर का कारण बन सकती है। हालांकि, 'हम' प्रवक्‍ता दानिश रिजवान इसे खारिज करते हैं।

दबाव की राजनीति कर पार्टी का हित चाहते हैं मांझी

जीतन राम मांझी सत्‍ताधारी किसी भी गठबंधन में रहे हां, अपने कद को लेकर गंभीर दिखे। अपनी मांगों को मनवाने के लिए वे दबाव की राजनीति (Pressure Politics) करते रहे हैं। ऐसे में एनडीए में वे अपना कद बढ़ा कर पार्टी का हित चाहते हैं। उनका मुकेश सहनी से मिलना दबाव की राजनीति का ही हिस्‍सा माना जा रहा है। जो भी हो, इससे एनडीए के मुख्‍यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का सिरदर्द बढ़ता दिख रहा है। अब विधानसभा में महज कुछ वाटों से टिके एनडीए के बहुमत में चार-चार वोट वाले दो छोटे दलों का रूख आगे क्‍या सियासी गुल खिलाएगा, इसपर निगाहें टिकी हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.