गोदावरी सरोवर के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट
संजय कुमार, गया गया को तालाबों का शहर कहा जाता था। चार दशक पहले शहर में कई तालाब
संजय कुमार, गया
गया को तालाबों का शहर कहा जाता था। चार दशक पहले शहर में कई तालाब थे, लेकिन अतिक्रमण के कारण कई का अस्तित्व मिट चुका है तो कई मिटने के कगार पर हैं। वार्ड संख्या 43 में स्थित गोदावरी सरोवर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। अतिक्रमण के कारण सरोवर अपनी पहचान खोती जा रही है। सबसे अधिक अतिक्रमण पश्चिमी भाग से हो रहा है। अतिक्रमणकारी बोरे में मिट्टी लाकर सरोवर के डालते हैं और फिर दीवार खड़ी कर देते हैं। उसके बाद मकान बना लिया जाता है। समय रहते जिला प्रशासन और नगर निगम इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इसका भी अस्तित्व मिट जाएगा। सरोवर की सफाई सिर्फ पितृपक्ष में ही होती है। ऐसे में चहुंओर गंदगी का अंबार है।
शहरवासी पिंटू कुमार, लखराज प्रजापत, यदुनंदन सिंह ने कहा कि सरोवर का अतिक्रमण काफी तेजी से हो रहा है। प्रशासन को सख्त कदम उठाना चाहिए।
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सरोवर का काफी है महत्व
सनातन धर्म में गोदवरी सरोवर का काफी महत्व है। सरोवर में स्नान करने से 21 कुल का उद्धार हो जाता है। जो पिंडदानी पुनपुन नदी में पिंडदान एवं तर्पण नहीं करते वह इसी सरोवर में कर्मकांड कर पितृरों की मुक्ति की कामना करते हैं। यह स्थान को गोदावरी तीर्थ से जाना जाता है।
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12 वर्ष पहले हुआ था सुंदरीकरण
वर्ष 2006 में विधायक सह मंत्री डॉ. प्रेम कुमार द्वारा सम विकास योजना के तहत इस सरोवर का सुंदरीकरण किया गया था। सरोवर के चारों ओर चहारदिवारी की गई थी। अब चहारदिवारी को तोड़कर अतिक्रमण किया जा रहा है।
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सरोवर को अतिक्रमण होने से रोकने लिए कई बोर्ड एवं सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव रखा गया है। इसके बावजूद नगर निगम द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। सरोवर की सफाई तीन-चार दिनों में पूरी कर दी जाएगी।
-विनोद कुमार यादव, वार्ड पार्षद