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Gaya: देसी चिकित्‍सा की ओर बढ़ा रुझान, कोरोना के लिए युनानी, होमियाेेपैथ आयुर्वेद की ले रहे दवाएं

गया स्थित जिला संयुक्त औषधालय में इन दिनों देसी चिकित्‍सा पद्धति से इलाज के लिए लोग पहुंच रहे हैं। यहां आयुर्वेद होमियो व यूनानी दवाएं दी जा रही हैं। चिकित्‍सकों का कहना है कि कोरोना के लिए ये दवाएं काफी कारगर हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:15 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:15 AM (IST)
Gaya: देसी चिकित्‍सा की ओर बढ़ा रुझान, कोरोना के लिए युनानी, होमियाेेपैथ आयुर्वेद की ले रहे दवाएं
गया शहर में स्थित संयुक्‍त औषधालय। जागरण

गया, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण से बचाव में देसी चिकित्सा का योगदान बढ़ा है। गत वर्ष की भांति इस साल भी आयुर्वेद, होमियो व यूनानी चिकित्सा पद्धति की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। गया शहर स्थित जिला संयुक्त औषधालय में बीमार लोगों की आयुर्वेद, होमियो व यूनानी चिकित्सा की जा रही है। यूनानी चिकित्सक डॉ. कुहसिया तलत बताती हैं कि उनके औषधालय में शहर के अलावा गांव-देहात से भी लोग आते हैं। हालांकि लॉकडाउन की वजह से इन दिनों मरीजों की भीड़ थोड़ी घटी है। बावजूद हर दिन 15 से 20 मरीज देसी चिकित्सा में विश्वास रखते हुए आते हैं।

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कोरोना के लिए हैं कई सारी होमियाेपैथिक दवाएं

आयुष मंत्रालय की ओर से संचालित इस औषधालय में अभी ज्यादातर दवाएं उपलब्ध हैं। होमियोपैथ के चिकित्सक डॉ. अब्दुल मनान अंसारी बताते हैं कि जो भी मरीज आते हैं उनकी तकलीफ के अनुसार दवाएं दी जाती है। वे  बताते हैं कि अभी संक्रमण से बचाव को लेकर आर्सेनिक अलबम 30 दवा दी जा रही है। इसके अलावा सांस की तकलीफ रहने पर कार्बोवेेज भी दी जाती है। इसके अलावा एसपीडोस्पर्मा भी लोग मांग रहे हैं। ब्रोनिया, रस्टक जैसी दवाएं भी दी जाती हैं। यहां होमियोपैथी की कोरोना से संबंधित करीब 80 दवाएं उपलब्ध हैं।  डॉ. कुहसिया तलत बताती हैं कि खांसी के लिए जोसिना, स्वालिन टेबलेट, बुखार-जुकाम के लिए ओजाईन दवा दी जाती है। उनके यहां 15 तरह की दवाएं उपलब्ध है। वह यूनानी की दवा को सेहत तंदुरुस्त रखने में कारगर बताती हैं।

गत वर्ष से अब तक करीब 5 हजार आयुष काढ़ा के बंटे हैं पैकेट

आयुर्वेद चिकित्सालय के कर्मी बताते हैं कि पिछले साल और इस बार भी सबसे अधिक आयुष काढ़ा लोगों को दिया गया। इस साल करीब 11 सौ पैकेट दिया गया है। आयुर्वेद के जानकारों की मानें तो यह काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। पिछले साल होम आइसोलेशन में रहे संक्रमितों के लिए करीब 4 हजार पैकेट उपलब्ध कराए गए थे। हालांकि अब इस औषधालय में यह आयुष काढ़ा खत्म हो गया है। जिसे विभाग की ओर से उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। जानकार लोग इसकी मांग करते हैं। बुखार में लक्ष्मी बिलास, महासुदर्शन चूर्ण दिया जाता है। इसके अलावा सीतोप्लादि चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, हिंगवास्टक चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण, महाशंखवटी उपलब्ध है। गिलोय धनबेटी की गोली खत्म हो गई है। इस साल इस दवा की खरीदारी ही नहीं हुई है।


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