Jagran Special: लॉकडाउन में इन युवाओं ने फल्गू नदी के तट पर लगाए सात सौ पौधे, जानिए अब कैसा है उन पौधों का हाल
कोरोना की वजह से लॉकडाउन के दौरान कुछ युवाओं ने फल्गु नदी के तट पर पीपल महोगनीवट नीम पलाश गूलर समेत 40 प्रजातियों के पौधे सात सौ पौधे लगाए थे। मई-जून माह में लगाए गए ये पौधे बढ़कर 6 से 7 फुट के हो गए हैं।
विनय कुमार पांडेय, गया: कोरोना महामारी ने जहां एक ओर लोगों को डर और खौफ दिया। तरह-तरह की मुश्किलों से दो-चार कराया। वहीं कई युवा इस मुश्किल दौर में भी अनूठे कार्य में लगे रहे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किया गया उनका कार्य आज फलीभूत हो रहा है। फल्गु नदी तट पर लगाए गए सैकड़ों पौधे अब बड़े हो गए हैं। हरे-भरे इन पेड़ों को देखकर लोग मोहित हो जाते हैं।
गया नगर से सटे केंदुई गांव के चंद युवाओं ने आपसी समन्वय के साथ पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाया था। स्थानीय महेश सिंह बीएड कॉलेज के समीप केंदुई गांव में फल्गु नदी तट के किनारे गांव के युवा चंदन लाल, विक्रम मेहता, मंटू यादव और मुकेश कुमार ने अपने साथियों के सहयोग से मई- जून माह में करीब 700 पौधे लगाए थे। चंदन बताते हैं कि 40 विभिन्न प्रजातियों के पौधे नदी के किनारे लगाए गए। इनमें पीपल, महोगनी, नीम, पाकड़ आदि के पौधे थे। करीब 5 महीने में वही नन्हे पौधे विकसित होकर आज 6 से 7 फुट के हो गए हैं जो फल्गु तट की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं।
पौधारोपण के साथ ही स्थानीय दिव्यांग को दिलाया रोजगार- केंदुई गांव के इन 4 युवाओं ने मिलकर ना सिर्फ पौधे लगाए बल्कि उनकी देखरेख के भी मुकम्मल इंतजाम किए। पौधा संरक्षक के रूप में स्थानीय दिव्यांग ईश्वर प्रसाद गुप्ता को रखा है। वह दोनों पैर से दिव्यांग हैं। बावजूद हर रोज नदी किनारे घूम-घूम कर पौधों की देखभाल करते हैं। पौधे की देखरेख करने के एवज में युवा लड़के आपस में चंदा करके दिव्यांग ईश्वर प्रसाद को हर एक माह 15 सौ से 2 हजार रुपये की मदद देते हैं।
पौधों को पानी देने के लिए समरसेबल भी लगाया-पर्यावरण संरक्षण प्रेमी युवाओं ने पौधों को पानी देने के लिए सबमरसेबल भी लगाया। फिलहाल मोटर जल जाने की वजह से खराब पड़ा है। युवा प्रशासनिक सहयोग से इसे चालू कराने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि मई और जून के महीने में इन युवाओं के साथ पौधा लगाने के लिए जिला प्रशासन और वन विभाग के कई अधिकारी भी केंदुई पहुंचे थे। वन विभाग के सहयोग से इन युवाओं को पौधे उपलब्ध कराए गए, जो आज बड़े होकर फल्गु नदी की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही स्थानीय पर्यावरण को भी स्वच्छ कर रहे हैं।
वट सावित्री पूजा से जगी प्रेरणा-चंदन लाल बताते हैं कि फल्गु नदी के तट पर पौधा लगाने की यह प्रेरणा पिछले वट सावित्री पूजा से मिली। तब गांव की महिलाएं वट वृक्ष की पूजा के लिए गांव से दूर जा कर पूजा करती दिखाई दीं। उसी समय इन युवाओं ने सोचा कि क्यों नहीं अपने गांव के पास ही वट वृक्ष लगा दिया जाए। और यहीं से शुरू हो गई पेड़- पौधा लगाने की योजना।