कैमूर: पर्याप्त एंबुलेंस के बिना कैसे होगी कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम, 21 में दुरुस्त मिले केवल दो
कैमूर जिले में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना को लेकर सिटी स्कैन मशीन लगाने व पर्याप्त बेडों की व्यवस्था करने के साथ अनुमंडल मोहनियां रामगढ रेफरल अस्पताल तथा सदर अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाने की व्यवहारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जागरण संवाददाता, भभुआ। कैमूर जिले में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना को लेकर सिटी स्कैन मशीन लगाने व पर्याप्त बेडों की व्यवस्था करने के साथ अनुमंडल मोहनियां, रामगढ रेफरल अस्पताल तथा सदर अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाने की व्यवहारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन, ऐसे में बिना पर्याप्त एंबुलेंसों के तीसरी लहर की रोकथाम कैसे होगी यह यक्ष प्रश्न अब भी अनुत्तरीय है।
बीते दिनों कोरोना की दूसरी लहर के प्रभावी दिनों में एंबुलेंसों की बड़ी समस्या सामने आई थी। लोग अपने प्रियजनों के इलाज के लिए बाहर ले जाने में एंबुलेंसों के अभाव में काफी पैसा खर्च कर निजी वाहन किराए पर लेकर अपना काम चलाए थे। इस परेशानी को ध्यान में रखकर सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को निर्धारित किराए पर निजी एंबुलेंस का उपयोग करने का निर्देश भी दिया था। लेकिन जिले में एक भी निजी एंबुलेंस इस कार्य के लिए सामने नहीं आए। वैसे तो जिले में निजी एंबुलेसों का अभाव है। दो तीन नर्सिंग होम के अपने एंबुलेंस जरूर हैं लेकिन उनकी अपनी भी समस्या रही।
जिले में एंबुलेंस की स्थिति
जिले में कुल 21 एंबुलेंस है। इसमें से पांच सदर अस्पताल में हैं। इसके अलावा मोहनियां अनुमंडल में दो, कुदरा में दो, नुआंव तथा रामपुर में एक छोटी व एक बड़ी दो, चैनपुर पीएचसी व खरिगांवा एपीएचसी मिलाकर दो के अलावा अधौरा, रामगढ, दुर्गावती, भगवानपुर, चांद, सदर पीएचसी में एक-एक एंबुलेस है।
सदर अस्पताल व मोहनियां अनुमंडल अस्पताल में ही एंबुलेंस से मरीज रेफर की सुविधा है। पीएचसी के एंबुलेस गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने तथा प्रसव के बाद उन्हें घर पहुंचाने का कार्य करती है। इनमें से वर्ष 2012 की एंबुलेसों में से तीन की हालत मरम्मत के अभाव में जर्जर है। जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा 18 लाख की आबादी वाले इस जिले के लिए और एंबुलेंस की मांग की गई है।
एक मात्र शव वाहन के होने से परेशानी
जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में एक मात्र शव वाहन के होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते कोरोना के दूसरी प्रभावी लहर के दौरान एक शव वाहन को कई-कई बार शवों को पहुंचाने के लिए जाना पड़ा। इसमें नींद पूरी न होने से चालक की तबीयत भी खराब हो गई तथा उसे दवा खाकर ड्यूटी करनी पड़ी थी। विभाग की मांग पर सरकार ने एक और शव वाहन व चालक उपलब्ध कराने की बात कही थी। लेकिन, अब तक उक्त वाहन उपलब्ध नही कराया गया। नियमत: एक सदर अस्पताल व दूसरा अनुमंडल अस्पताल में शव वाहन होना चाहिए।
निजी एंबुलेंस की खरीदारी की हुई पहल
निजी लोगों को अनुदान देकर एंबुलेंस खरीदारी करने का प्रावधान किया। इसके अंतर्गत 22 के लक्ष्य के विरूद्ध 17 एंबुलेस की खरीदारी हो चुकी है। जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि पांच एंबुलेंस की खरीदारी कराने की प्रक्रिया चल रही है। इस व्यवस्था से आवश्यकता पडऩे पर निजी एंबुलेस मुहैया हो जाएगी। सरकार को इन एंबुलेंसों का किलो मीटर के हिसाब से किराया निर्धारित कर उसका अनुपालन भी कराना होगा।
एंबुलेंस चालकों की व्यथा
जिले में रात दिन मरीजों की सेवा में लगे एंबुलेंस चालकों की व्यथा यह है कि उनका नियमित भगुतान नहीं होता। पूछे जाने पर सदर अस्पताल के एक एंबुलेस के ईएमटी ने बताया कि पहले से भुगतान की स्थिति कुछ सुधरी है। फिलवक्त एक माह का भुगतान बाकी है।
क्या कहते है अधिकारी
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ मीना कुमारी ने बताया कि एंबुलेंसों तथा कम से कम एक और शव वाहन के न होने से होने वाली परेशानी से वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। इस मामले में लगातार पत्राचार किया जा रहा है।