गया में एमएलसी चुनाव के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को रिझाने में जुटे हैं संभावित प्रत्याशी
गया जहानाबाद समेत अरवल जिले के करीब 85 सौ पंचायत प्रतिनिधि अपने पसंद के एमएलसी प्रत्याशी को वोट करेंगे। एमएलसी चुनाव में बतौर वोटर पंचायतों के वार्ड सदस्य पंचायत समिति सदस्य मुखिया जिला पर्षद समेत सांसद व विधायक पदेन सदस्य होते हैं।
जागरण संवाददाता, गया: त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के कोटे से होने वाले विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इस बार भी चुनाव दलीय आधार पर लड़े जाने हैं। विधान परिषद का सदस्य बनने को लेकर तमाम संभावित प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी राजनीतिक विसात बिछानी शुरू कर दी है। दलीय आधार पर जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड व पंचायतों के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों की रिझाने की कवायद में सभी जुट गए हैं। खुद एमलएसी के संभावित प्रत्याशी व उनके निकट के राजनीतिक सलाहकार क्षेत्र में जाकर एक-एक वोट को जुटाने में लग गए हैं।
गया जिले की बात करें तो इस बार रोचक मुकाबला होता हुआ दिख रहा है। गया समेत जहानाबाद व अरवल के पंचायत प्रतिनिधियों के वोट से किसी एक की जीत का मार्ग प्रशस्त होना है। इन तीनों जिलों को मिलाकर करीब 84 सौ प्रतिनिधि एमएलसी चुनाव में अपना वोट करेंगे। अकेले गया जिले में ही 5 हजार से अधिक प्रतिनिधि हैं। इस चुनाव में पंचायत के वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया, जिला पर्षद समेत सांसद व विधायक पदेन सदस्य होते हैं। जो इस चुनाव में अपना वोट देते हैं।
गया जिले में बीते वर्षों में हुए एमएलसी चुनाव का लेखा-जोखा
साल 2003:
पंचायत प्रतिनिधियों को विधान परिषद में प्रतिनिधित्व दिया गया था। उसी साल चुनाव भी कराए गए थे। इस साल का चुनाव गैरदलीय हुआ था। जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मनोरमा देवी ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में जदयू समर्थित रामकुमार मेहता निकटतम प्रतिद्वंदी रहे। मनोरमा देवी के पति स्व. बिंदी यादव जिला परिषद के चेयरमैन रह चुके हैं।
साल 2009:
इस साल चुनाव दलीय आधार पर कराए गए। जदयू कोटे से अनुज सिंह ने चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की। उस साल आरजेडी कोटे से मनोरमा देवी निकटतम प्रतिद्वंदी रहीं थीं। अनुज सिंह अभी वर्तमान में आरजेडी के नेता हैं।
साल 2015:
इस साल जदयू कोटे से मनोरमा देवी ने चुनाव जीता। इस तरह से वह दूसरी बार विधान परिषद सदन तक पहुंची। इस साल के चुनाव में अनुज सिंह बीजेपी कोटे से उम्मीदवार बने थे। तब जदयू व भाजपा का महागठबंधन था।