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गया के बांकेधाम में लाकडाउन में सात सौ युगल बंधे शादी की डोर में

मगध का चर्चित ऊं नगर बांकेधाम मंदिर में लाकडाउन के दौरान सात सौ युगल शादी के पवित्र बंधन में बंधे।वैसे तो यहां सालों भर शादियां होती रहती हैं। लेकिन लाकडाउन में इतनी संख्या में शादी होना मायने रखता है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 01:11 PM (IST)
गया के बांकेधाम में लाकडाउन में सात सौ युगल बंधे शादी की डोर में
लगन के वक्‍त दूर-दराज से लोग शादी कराने पहुंचते हैं, सांकेति‍क तस्‍वीर।

बांकेबाजार (गया), संवाद सूत्र। मगध का चर्चित ऊं नगर बांकेधाम मंदिर में लाकडाउन के दौरान सात सौ युगल शादी के पवित्र बंधन में बंधे। यहां पहाड़ पर भगवान शिव, पार्वती और भगवान भास्‍कर का मंदिर है। वैसे तो यहां सालों भर शादियां होती रहती हैं। लेकिन, लाकडाउन में इतनी संख्या में शादी होना मायने रखता है। वह भी तब जब राज्य सरकार द्वारा शादी समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या निर्धारित की गई है।

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यहां लगन के दौरान हर वर्ग के लोग दूर-दराज से लोग शादी संपन्न करने आते हैं। बहरहाल शादी से मंदिर का प्रबंधन करने वाली वन समिति को साढ़े तीन लाख की आय हुई है। इसके अलावा वाहनों के पड़़ाव से अलग आय हुआ है। वन समिति के अध्यक्ष अजय पासवान ने बताया कि बांकेधाम मंदिर को पहले स्थानीय लोगों द्वार गठित मंदिर समिति देखरेख करती थी। अब मंदिर समिति से बांकेधाम मंदिर का सारा अधिकार एवं अन्य कार्य वन विभाग अपने अधीन कर लिया है। देखरेख के लिए नए सिरे से वन समिति का गठन स्थानीय ग्रामीणों की आमसभा के माध्यम से की गई है।

कन्‍या पक्ष को निशुल्‍क मिलती सुविधा

जब से वन विभाग बांकेधाम को अपने अधीन लिया है, तब से बांकेधाम में शादी में लिए जाने वाला शुल्क कन्या पक्ष के लिए माफ कर दिया गया है और सिर्फ वर पक्ष से पांच सौ रुपये निर्धारित शुल्‍क लिया जाने लगा है। शादी रचाने आये लोगों एवं स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वन समिति द्वारा सिर्फ पांच सौ रुपये का रसीद दिया जाता है। इसके अलावे आचार्य के नाम पर एक सौ रुपये का अलग से शुल्क लिया जाता है। इसका लेखा जोखा नही रखा जाता है।

वन समिति के अध्यक्ष अजय पासवान ने बताया गया कि एक सौ रुपये का रसीद नहीं दिया जाता है, लेकिन रजिस्टर में प्राप्त राशि दर्ज कर ली जाती है। बताया गया कि बांकेधाम वन समिति कोष का संचालन स्थानीय वनपाल एवं वन समिति के सचिव के पदनाम से संयुक्त रूप से बैंक में संचालित होता है। कोई भी राशि का खर्चा वन समिति में लिए गए निर्णय के उपरांत होता है।


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